यूपी की जेलों में बंद 171 कैदी नहीं भर पा रहे जुर्माना, अब केंद्र सरकार ऐसे करेगी मदद

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की जेलों में कुल 1 लाख 23 हजार कैदी बंद हैं. इनमे से 810 कैदी ऐसे हैं, जिनको कोर्ट से तो जमानत मिल गई है लेकिन रिहाई की शर्तों में दो जमानतदार नहीं मिल रहे. उत्तर प्रदेश की 74 जेलों में ऐसे कुल 810 कैदी बंद हैं. वहीं दूसरी तरफ 171 ऐसे बंदी हैं, जो जुर्माना अदा नहीं कर पाने के चलते जेलों में बंद हैं.

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उत्तर प्रदेश की जेलों में कुल 1 लाख 23 हजार कैदी बंद हैं (प्रतिकात्मक तस्वीर) उत्तर प्रदेश की जेलों में कुल 1 लाख 23 हजार कैदी बंद हैं (प्रतिकात्मक तस्वीर)

संतोष शर्मा

  • लखनऊ,
  • 02 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को बजट पेश किया. जिसमें ऐलान किया गया है कि पैसों की कमी के चलते जो कैदी जुर्माना अदा नहीं कर पा रहे हैं और जेलों में बंद हैं, उनकी मदद सरकार करेगी. सरकार उनका जुर्माना अदा कर उनकी जेल से रिहाई में मदद करेगी. सरकार का यह ऐलान जेल में बंद तमाम कैदियों के लिए खुशखबरी है. उत्तर प्रदेश की जेलों में 900 से ज्यादा ऐसे कैदी बंद हैं, जिनको या तो जमानत देने वाले नहीं मिल रहे या फिर उनके पास जुर्माना अदा करने की रकम नहीं है.

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दरअसल, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की जेलों में कुल 1 लाख 23 हजार कैदी बंद हैं. इनमे से 810 कैदी ऐसे हैं, जिनको कोर्ट से तो जमानत मिल गई है लेकिन रिहाई की शर्तों में दो जमानतदार नहीं मिल रहे. उत्तर प्रदेश की 74 जेलों में ऐसे कुल 810 कैदी बंद हैं. वहीं दूसरी तरफ 171 ऐसे बंदी हैं, जो जुर्माना अदा नहीं कर पाने के चलते जेलों में बंद हैं.

इस आंकड़े पर डीजी जेल आनंद  कुमार का कहना है कि इनमें से ज्यादातर वह कैदी हैं जिनका या तो नाम पता तस्दीक नहीं हो पा रहा, जिसकी वजह से जमानतदार नहीं मिल रहे या फिर वह दूसरे राज्य और शहर के हैं, जिसके चलते जमानतदार मिलने में कठिनाई आ रही है. वहीं दूसरी तरफ पैसे की कमी के चलते प्रदेश की 74 जेलों में सिर्फ 171 कैदी जुर्माना अदा नहीं कर पाने के कारण बंद हैं. उत्तर प्रदेश कारागार विभाग पहले से विभिन्न एनजीओ की मदद से समय-समय पर ऐसे कैदियों को रिहा करवाता रहा है. अब सरकार ने भी इनकी मदद के लिए ऐलान किया है तो ऐसे बंदियों की मदद होगी. लेकिन यूपी की जेलों में बंद 171 कैदियों में ज्यादातर वह कैदी हैं जो एनडीपीएस एक्ट में बंद हैं और जिनका जुर्माना लाखों में है. 

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उन्होंने कहा कि नियमता एनडीपीएस एक्ट प्रतिबंधित श्रेणी का अपराध है, लिहाजा ऐसे लोगों के मानवीय दृष्टि से मदद का प्रावधान भी नहीं है और इनके जुर्माने की रकम भी अधिक होती है, जिसकी वजह से यह लोग जेल में बंद हैं. लेकिन जो बंदी असल में आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जो चंद हजार रुपए की वजह से जेल में बंद हैं, उनकी पहले भी मदद होती रही और अब सरकार के इस ऐलान से उनको लाभ मिलेगा.

डीजी जेल आनंद कुमार का कहना है कि यह हमारे लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है कि जिस राज्य की जेलों में लाख से अधिक कैदी बंद हो, वहां पर जुर्माना अदा नहीं कर पाने वाले कैदियों की संख्या 200 भी नहीं है. यह हमारी कई सालों की कोशिश का नतीजा है कि विभिन्न एनजीओ ऐसे लोगों की मदद करती आई है, जिसकी वजह से समय-समय पर ऐसे कैदियों की रिहाई होती रही और अब सरकार इनकी मदद करने के लिए आगे आई हैं.

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