एक छोटे से गांव में पले-बढ़े एक भारतीय युवक ने सोशल मीडिया पर अपनी जिंदगी की ऐसी कहानी शेयर की है, जिसने लाखों लोगों को काफी प्रेरित कर दिया है. दरअसल, 34 साल के इस टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट ने 10 साल में 4 करोड़ रुपये की बचत कर ली है. इसके लिए उन्होंने न कोई लॉटरी खेली, न उन्हें कोई विरासत मिली, सिर्फ मेहनत, अनुशासन और सादा जीवन जीकर इतने रुपये कमा लिए.
यहां जानिए कैसे बचाएं 4 करोड़
यह कहानी रेडिट के 'r/Noida' ग्रुप पर सामने आई, जहां उन्होंने अपने जन्मदिन पर एक पोस्ट शेयर की. उन्होंने लिखा.
"आज मैं 34 साल का हो गया हूं और मेरी सेविंग्स 4 करोड़ रुपये पार कर गई है. न कोई विरासत, न कोई लॉटरी, सिर्फ 10 साल की मेहनत, धैर्य और अनुशासन.''
गांव से उठी उम्मीद की किरण
इस तकनीकी एक्सपर्ट ने बताया कि उनका बचपन काफी गरीबी में बीता. उनके पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे, जो मुश्किल से घर चला पाते थे. उन्होंने सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ाई की है. उन्होंने बताया कि उनके पिता हमेशा कहते थे – “जिस दिन लोग मुझे तुम्हारी वजह से जानेंगे, मुझे गर्व होगा.” यही बात उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी प्रेरणा बनी.
कंप्यूटर से बदली जिंदगी
तकनीकी एक्सपर्ट का बचपन काफी गरीबी में बीता. उन्होंने बचपन में भूख और अभाव झेले. लेकिन जब पहली बार कंप्यूटर देखा, तो वही उनका पैशन बन गया. जब उन्हें कंप्यूटर मिले और उन्हें अपना जुनून मिला, तो उनकी जिंदगी बदल गई. उन्होंने कहा, "मुझे अभी भी याद है कि भूख कैसी होती है. न केवल वह भूख जिसमें आपका पेट दर्द करता है, बल्कि वह भूख भी जिसमें आप चुपचाप ब्रांडेड लेवी की टी-शर्ट पहनना चाहते हैं, इसलिए नहीं कि वह महंगी है, बल्कि इसलिए कि आप शहर की भीड़ के बीच सामान्य महसूस करना चाहते हैं."बिना किसी मेंटर या कोचिंग के, उन्होंने ऑनलाइन फ्री रिसोर्सेस से सीखना शुरू किया, किताबें पढ़ीं और खुद अपनी गलतियों से सीखा.
तकनीक से बनी कमाई की राह
उन्होंने फुल-टाइम जॉब मिली, और साथ में पार्ट-टाइम बिज़नेस शुरू किया. हर महीने बचत करते रहे, खर्चों पर कंट्रोल रखा. गाड़ियों की चाहत थी, लेकिन घर खरीदने की जल्दी नहीं. “आज मेरे पास एक कार और एक बाइक है. घर नहीं लिया है, क्योंकि पिता को सबसे ज्यादा गर्व मेरी मेहनत पर होगा, ना कि सिर्फ संपत्ति पर.” सोशल मीडिया पर लोग उन्हें “रियल हीरो” कह रहे हैं. इस पोस्ट पर सैकड़ों कमेंट आए हैं. एक यूजर ने लिखा, “आपने साबित किया कि मेहनत ही असली पूंजी है.” दूसरे ने कहा, “कोविड में हमने अपनी कार बेच दी थी, आज तक नई नहीं खरीद पाए. आपकी कहानी उम्मीद देती है.”
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