हैदराबाद में जिंदा मछली का प्रसाद लेने के लिए गुरुवार अस्थमा रोगियों की भीड़ उमड़ पड़ी. इसके लिए नामपल्ली स्टेशन के पास एक मैदान में दिव्य प्रसाद के लिए कई काउंटर लगाए जाते हैं. दावा है कि यहां आकर लगातार तीन साल प्रसाद खाने पर अस्थमा की बीमारी ठीक हो जाती है. इस बार करीब 40 हजार लोग दवा लेने के लिए पहुंचे.
बत्तिनी गौड़ फैमिली का दावा
दरअसल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकार भी इसे प्रथा का सपोर्ट करती हैं. प्रसाद के लिए करीब डेढ़ लाख मरल प्रजाति की मछलियों का इंतजाम किया जाता है. हैदराबाद के चार मीनार इलाके में रहने वाली बत्तिनी गौड़ फैमिली मछली का प्रसाद देकर अस्थमा की रोग ठीक का दावा करती है. देशभर से हजारों लोग प्रसाद लेने के लिए पहुंचते हैं, सभी घंटों लाइन में खड़े होकर प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसके लिए बकायदा मौके पर पुलिस और प्रशासन की तैनाती की जाती है ताकि भीड़ पर काबू किया जा सके. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के मुताबिक एक महिला अस्थमा रोगी से ये प्रसाद खाने के बाद कहा कि उसे अब अस्थमा से राहत है.
160 साल पुरानी परंपरा
प्रसाद के तौर पर यहां मछली खिलाने की परंपरा करीब 160 साल पुरानी है. बत्तिनी गौड़ फैमिली की ओर से ये दवा मानसून आने के बाद दिया जाता है. आयुर्वेदिक तरीके से बने पीले रंग के प्रसाद में 5 सेंटीमीटर लंबी जिंदा मछली को लपेटकर रोगियों को खाने के लिए दिया जाता है. इस फैमिली का दावा है कि मछली रोगियों के पेट में पहुंचकर अस्थमा की बीमारी को ठीक करती है. हालांकि तमाम वैज्ञानिक और डॉक्टर इस तरकीब को सिरे से नकार चुके हैं. इन लोगों का आरोप है कि लोगों को केवल गुमराह किया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद लोगों में इस प्रसाद को लेकर लेने की होड़ मची है.
अमित कुमार दुबे