भूखे रहने पर चली गई महिला कैदी की आवाज, जेल में दो महीने से हंगर स्ट्राइक पर

दो महीने तक खुद को भूखा रखने के बाद 31 साल की ब्रिटिश महिला कैदी की बोलने की क्षमता खत्म हो गई. वह एक एक्टिविस्ट है और फिलीस्तीन के समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के बाद उसे डिटेन कर लिया गया था.

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जेल में बंद महिला कैदी की भूख हड़ताल की वजह से चली गई आवाज (Photo - Pexels) जेल में बंद महिला कैदी की भूख हड़ताल की वजह से चली गई आवाज (Photo - Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:54 AM IST

ब्रिटिश जेलों में अपनी तरह के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन के तहत बिना किसी दोष सिद्ध हुए हिरासत में ली गई एक ब्रिटिश कार्यकर्ता की हालत गंभीर है. वह लगभग दो महीने से भूख हड़ताल पर रहने के बाद अब बोल नहीं सकती है. 

डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश महिला हेबा मुरैसी, जो लगभग दो महीने से जेल में भूख हड़ताल पर है, अब गंभीर स्वास्थ्य खतरे से गुजर रही है. उसका हेल्थ तेजी से बिगड़ रहा है. वह 57 दिनों से भूख हड़ताल पर है, क्योंकि   निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार सहित उसकी मांगें अधिकारियों द्वारा पूरी नहीं की गई हैं.

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57 दिनों से भूख हड़ताल पर है कैदी
हेबा मुरैसी ने 57 दिनों तक खुद को भूखा रखा है. बताया जाता है कि 31 साल की हेबा बिना दोष सिद्ध हुए लंबे समय तक हिरासत में रखे जाने, जेल की स्थितियों (जिसमें सेंसरशिप भी शामिल है), निष्पक्ष सुनवाई और तत्काल जमानत न मिलने, फिलिस्तीन एक्शन पर प्रतिबंध और इजरायल की अग्रणी रक्षा कंपनी एलबिट सिस्टम्स को बंद करने की मांग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं.

वह उन आठ लोगों में से एक हैं जिन्हें फिलिस्तीन एक्शन की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शनों में संलिप्तता के आरोप में जेल में बंद किया गया है. इन सभी ने नवंबर में भूख हड़ताल शुरू की थी. मूल समूह में से तीन लोग कथित तौर पर अभी भी भोजन करने से इनकार कर रहे हैं. इसमें मुरैसी भी शामिल हैं. 

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अपनी भूख हड़ताल के 53वें दिन, मुरैसी ने ब्रिटेन स्थित एडवोकेसी ग्रुप प्रिजनर्स फॉर पैलेस्टाइन द्वारा जारी एक फोन कॉल में छह सप्ताह से अधिक समय तक भोजन न मिलने के गंभीर शारीरिक प्रभावों का की जानकारी दी थी. मेट्रो की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने बताया कि वह हर गुजरते दिन के साथ कमजोर महसूस कर रही हैं.लगातार शरीर में दर्द का अनुभव कर रही हैं. साथ ही ब्लड टेस्ट के कारण उनकी बाहों, हाथों और उंगलियों पर जख्म बन गए हैं. उन्हें चक्कर आते हैं, सिरदर्द और मतली भी हो रही है.

करवट लेने पर भी होता चेहरे में दर्द
उन्होंने बताया था कि हर गुजरते दिन के साथ मैं खुद को कमजोर महसूस कर रही हूं. अब रात को लेटते समय मैं करवट नहीं ले सकती क्योंकि इससे मेरे चेहरे में दर्द होता है. रिकॉर्डिंग में लंबे-लंबे विराम सुनाई दिए, जिसमें उन्होंने कहा कि कभी-कभी मुझे वाक्य बनाने में कठिनाई होती है. कभी-कभी बातचीत करने में भी परेशानी होती है. 

लंदन विश्वविद्यालय कॉलेज में आपातकालीन विभाग के डॉक्टर और महामारी विशेषज्ञ जेम्स स्मिथ, जो भूख हड़तालियों की सहायता कर रहे हैं. उन्होंने मेट्रो को बताया कि अब उनकी सेहत को लेकर स्थिति नाजुक और अनिश्चित है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कैदी बच भी जाते हैं, तो उन्हें लंबे समय तक नुकसान हो सकता है. इससे किडनी, लीवर, पैनक्रेयाज, हार्ट और पूरे शरीर की मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है.

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