महेंद्र सिंह धोनी ने अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज सौरव गांगुली की कप्तानी में किया. चार साल बाद जब गांगुली 2008 में अपना आखिरी टेस्ट मैच खेल रहे थे, तब धोनी टीम के कप्तान थे. उस मैच के आखिरी क्षणों में भारत जब जीत की ओर अग्रसर था, धोनी ने गांगुली को टीम की अगुवाई का मौका दिया. लेकिन इसी आत्मीयता के क्षणों के बीच व्यावहारिक धोनी ने गांगुली को सीमित ओवरों वाले क्रिकेट से दूर कर युवा टीम के निर्माण का आधार तैयार किया.
अब 38 वर्षीय धोनी का भविष्य भारतीय क्रिकेट में अनिश्चितता के दौर में झूल रहा है. चर्चा की मेज पर जज्बात के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं है. गांगुली भी धोनी के भविष्य की बात करते हुए पेशेवर नजरिया दिखाते हैं. इंडिया टुडे से बातचीत में गांगुली ने कहा, 'हर बड़े खिलाड़ी को अपने जूते टांगने (खेल से हटना) पड़ते हैं, यही खेल है. फुटबॉल को देखो, माराडोना को छोड़ना पड़ा. उससे बड़ा कोई खिलाड़ी नहीं है. तेंदुलकर, लारा, ब्रैडमैन...सभी को एक दिन छोड़ना पड़ा. इसी तरह से सिस्टम रहा है और आगे भी रहेगा. रहेगी, इसलिए ये स्थिति एमएस के लिए भी आएगी.'
चयनकर्ता और टीम प्रबंधन इंग्लैंड में भारत की वर्ल्ड कप मुहिम में धोनी की उपयोगिता को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थे. भारत या धोनी की योजना के मुताबिक इंग्लैंड में चीजें नहीं घटीं. ये उम्मीद की जा रही थी कि क्योंकि अगला 50 ओवर वर्ल्ड कप 2023 में होना है इसलिए धोनी खुद हट जाएंगे और और ऋषभ पंत टी-20 फॉर्मेट में उनकी जगह लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. लेकिन धोनी कैंप की ओर से संदेश दिया गया कि वो अभी खेल से नहीं हट रहे हैं.
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इस पर चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद का बयान आया, 'रिटायरमेंट विशुद्ध रूप से व्यक्तिगत है. धोनी जैसे दिग्गज क्रिकेटर जानते हैं कि कब संन्यास लेना है. लेकिन भविष्य में क्या एक्शन होना है, रोड मैप क्या होगा, ये चयन समिति के हाथों में है.’ हाल में हुए वर्ल्ड कप में एक से अधिक मौकों पर मिस्टर फिनिशर के तौर पर जाने वाले धोनी वो नतीजे देने में नाकाम रहे जिसके लिए वो जाने जाते रहे हैं. चाहे वो चेज करते हुए जीत दिलाना हो या फिर भारत के पहले बैटिंग करते हुए विरोधी टीम के लिए बड़ा टारगेट फिक्स करना.
गांगुली कहते हैं, ‘वो अपने करियर के उस मुकाम पर हैं जहां उन्हें मूल्यांकन करना है कि वे कहां खड़े हैं. उन्हें तय करना है कि क्या वो अब भी भारत के लिए मैच जीत सकते हैं. क्या वो किसी और खिलाड़ी की तरह नहीं एमएस धोनी की तरह ही योगदान दे सकते हैं. क्योंकि जब एमएस धोनी, विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी जब तक खेल रहे होते हैं तो हर कोई उम्मीद करता है कि वो अपनी पहचान के मुताबिक ही खेलेंगे और मैच को जिताएंगे. मैं सोचता हूं कि धोनी को ही फैसला करना है. सिर्फ एक खिलाड़ी ही जानता है कि उसके टैंक में अभी कितना ईंधन बचा है. और उसकी मैच जिताऊ क्षमता कितनी अक्षुण है.’
लेकिन ऋषभ पंत जिस तरह छोटे फॉर्मेट में खेल की ट्रिक्स सीख रहे हैं और धोनी की उम्र बढ़ रही है, उसको देखते हुए गांगुली कहते हैं कि भारतीय क्रिकेट को धोनी के बिना की वास्तविकता का आदि होना होगा. गांगुली कहते हैं, 'भारतीय क्रिकेट को ये तथ्य समझना होगा कि एमएस धोनी हमेशा के लिए नहीं खेल सकते और लंबे समय तक साथ नहीं रहेंगे, और मैं समझता हूं कि ये फैसला धोनी को ही लेना है.'
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