मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की शपथ के 29 दिन बाद आज मंगलवार को मध्य प्रदेश कैबिनेट का गठन किया. शिवराज कैबिनेट के पांच मंत्रियों को राज्यपाल लालजी टंडन भोपाल स्थित राजभवन में शपथ दिलाया. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के पांच अलग-अलग समुदायों से मंत्रियों को प्रतिनिधित्व देकर जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधने का प्रयास भी किया गया है.
मध्य प्रदेश में कोरोना संकट के बीच शिवराज सरकार के पांच मंत्रियों को राज्यपाल लालजी टंडन राजभवन में सादगी के साथ शपथ दिलाया. शपथ लेने वालों में डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल व मीना सिंह के अलावा तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के नाम शामिल हैं.
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मध्य प्रदेश में फिलहाल शिवराज के मंत्रिमंडल का स्वरूप छोटा रखा जा रहा है, लेकिन जातीय और सामाजिक समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. इनमें महिला-आदिवासी वर्ग के प्रतिनिधित्व के तौर पर मीना सिंह को शामिल किया गया है. ओबीसी वर्ग से आने वाले कमल पटेल को मंत्री बनाया गया है, जो कुर्मी समुदाय से आते हैं.
अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले तुलसीराम सिलावट को शिवराज कैबिनेट में जगह मिली है. सिलावट कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते हैं, जो कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में आए हैं और अब उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. सामान्य वर्ग के राजपूत समुदाय के प्रतिनिधित्व के तौर पर गोविंद सिंह राजपूत को कैबिनेट में जगह दी गई है. गोविंद सिंह राजपूत भी सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं और कमलनाथ सरकार में परिवहन मंत्री थे.
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सामान्य वर्ग से ब्राह्मण चेहरे के तौर पर नरोत्तम मिश्रा को कैबिनेट में जगह गई है. मिश्रा मध्य प्रदेश में बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं. कमलनाथ सरकार की सत्ता से विदाई और बीजेपी की वापसी में नरोत्तम मिश्रा की काफी अहम भूमिका रही है, जिसकी वजह से उन्हें मुख्यमंत्री की रेस में भी माना जा रहा था. शिवराज के काफी करीबी माने जाते हैं, जिसके चलते सरकार में अच्छा खासा दखल रहेगा.
कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से अनबन होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. सिंधिया के 22 समर्थक विधायकों ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जिसमें 6 कैबिनेट मंत्री भी शामिल थे. इसी के चलते कमलनाथ की सत्ता से विदाई और शिवराज सिंह चौहान की ताजपोशी हुई. यही वजह है कि सिंधिया के दो समर्थकों को भी शिवराज कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है.
बता दें कि कोरोना संकट के बीच 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले शिवराज सिंह चौहान अपना 29 दिन का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. इतने दिनों से शिवराज सिंह चौहान अकेले ही सरकार चला रहे है, जिसकी वजह से विपक्ष लगातार सवाल खड़े कर रहा था. कांग्रेस ने शिवराज सरकार द्वारा हाल ही में पारित दो अध्यादेशों को असंवैधानिक बताया था. इस संबंध में कांग्रेस राज्यसभा सदस्य व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा और कपिल सिब्बल ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर बिना कैबिनेट के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा काम किए जाने को लेकर आरोप लगाए थे.
कुबूल अहमद