Sangli: लगातार 52 सालों तक सांगली लोकसभा सीट पर काबिज रही कांग्रेस

Sangli Lok sabha constituency 2019 के लोकसभा चुनाव 2019 में सबकी नजरें लगी हुई हैं. लोकसभा चुनावों के लिहाज से महाराष्ट्र की सांगली सीट क्यों है खास,  इस आर्टीकल में पढ़ें...

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सांगली लोकसभा सीट सांगली लोकसभा सीट

श्याम सुंदर गोयल

  • नई द‍िल्ली,
  • 06 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 8:41 AM IST

महाराष्ट्र की सांगली पहले मिरज सीट कहलाती थी लेकिन 1967 में इसका नाम सांगली लोकसभा सीट (सांगली लोकसभा मतदारसंघ) हो गया था. संभवत: सबसे लंबे समय तक यहां कांग्रेस ने लगातार शासन किया. 1962 से 2014 के बीच 52 सालों तक लगातार कांग्रेस का शासन रहा. यहां तक की आपातकाल के बाद जब कांग्रेस अपने बुरे दिनों में थी, तब भी यहां कांग्रेस का सांसद बना. कांग्रेस के तिलिस्म को मोदी लहर ने 2014 में तोड़ा जब एक कांग्रेसी संजयकाका पाटील को यहां से बीजेपी से टिकट मिला. संजय पाटील को करीब ढाई लाख वोटों से जीत मिली.

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व‍िधानसभा सीटों का म‍िजाज

सांगली लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट आती हैं. यहां की विधानसभा सीटों पर बीजेपी मजबूत स्थिति में है. मिरज, सांगली, जाठ में बीजेपी, खानपुर में शिवसेना, फालुस काडेगांव में कांग्रेस और तासगांव-कवाथे महाकाल से एनसीपी के विधायक हैं.

सांगली लोकसभा सीट का इत‍िहास

1957 और 1962 में सांगली, मिरज लोक सभासीट के नाम से जानी जाती थी. 1957 में PWPI के बलवंत पाटील और 1962 में कांग्रेस के विजयसिंहराव रामाराव दाफले सांसद बने थे. उसके बाद इस सीट का नाम सांगली लोकसभा सीट हो गया. 1967 से कांग्रेस का जो दबदबा शुरू हुआ, उसे 2014 में 52 साल बाद चुनौती मिली जब बीजेपी के संजय काका पाटील यहां से सांसद बने. 1967 में कांग्रेस से एसडी पाटील, 1971 से 1980 तक गणपति टी गोटखिंडे, 1980 से 1984 तक वसंतदादा पाटील, 1984 से 1996 तक प्रकाशबापू वसंतदादा पाटील, 1996 से 1999 मदन पाटील, 1999 से 2006 तक प्रकाशबापू वसंतदादा पाटील, 2006 से 2014 तक प्रतीक पाटील सांसद बने. 2014 में मोदी लहर ने कांग्रेस की इस विरासत को खत्म किया और संजयकाका पाटील सांगली लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए.    

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सांगली लोकसभा सीट पर जीत का गण‍ित

2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रतीक पाटील को 3,78,620 वोट मिले, वहीं उनके प्रतिद्वंदी अजीत घोरपडे को 3,38,837 वोट मिले. घोडपडे ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के प्रतीक पाटील को कड़ी टक्कर दी थी. 2014 में पांसा पूरी तरह पलट गया. बीजेपी के संजय पाटील को 611,563 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस के प्रतीक पाटील को 372,271 वोट मिले. तीसरे स्थान पर बीएसपी के बांदगर नानासो बालासो रहे जिन्हें 11,378 वोट मिले थे.  

सांगली लोकसभा सीट के सांसद संजयकाका पाटील के बारे में

संजयकाका पाटील ने अपना राजनीतिक करियर युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष के रूप में शुरू किया था. सांगली के किसानों के हित में वे सरकार के खिलाफ आंदोलन खड़े कर देते थे. पाटील एनसीपी से महाराष्ट्र काउंसिल के मेंबर भी रहे. इन्होंने तासगांव से आरआर पाटील के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन कुछ वोटों से इन्हें हार मिली. तब संजय पाटील ने एनसीपी छोड़कर बीजेपी ज्वॉइन कर ली और सांगली लोक सभा सीट पर चुनाव लड़ा. संजय पाटील ने रिकॉर्ड मतों के साथ लोकसभा चुनाव जीता. संजय पाटील ने सांगली लोकसभा में महत्वपूर्ण काम किया है और वह एक एक्टिव सांसद के रूप में अपने क्षेत्र में मशहूर हैं.

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संसद में वर्तमान सांसद का प्रदर्शन और संपत्त‍ि

संसद में इनकी उपस्थिति 56 फीसदी रही. वहीं, संसद में इन्होंने 12 डीबेट में भाग लिया. संसद में इन्होंने 214 प्रश्न पूछे. प्राइवेट मेंबर्स बिल लाने में इनका खाता शून्य रहा. इस सीट पर संसदीय इलाके में खर्च करने के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान है. इसमें से म‍िले फंड का  84.25 फीसदी खर्च क‍िया. 10वीं पास पाटील ने 2014 के लोकसभा चुनाव के हलफनामे में 10 करोड़ रुपये की संपत्त‍ि घोष‍ित की थी.

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