Schizophrenia पढ़ने-सुनने में तो एक जटिल शब्द सा लगता है. जिसे बोलने में जुबान जरा सी लड़खड़ाती है. हिन्दी में इसे सिजोफ्रेनिया कहा जा सकता है. मेडिकल की भाषा में अगर इसे समझने की कोशिश करें तो यह एक मानसिक बीमारी है. इस बीमारी से पीड़ित शख्स वास्तविक और काल्पनिक वस्तुओं को समझने में भूल कर बैठता है. कई बार वह यूं ही खोया-खोया रहता है. किन्हीं सामाजिक परिस्थितियों में वह तय नहीं कर पाता/पाती कि उसे क्या प्रतिक्रिया देनी है.
आम मान्यता के विपरीत यह स्पलिट पर्सनैलिटी नहीं है...
ऐसी आम मान्यता है कि Schizophrenia ही Split personality या Multiple personality है लेकिन ऐसा नहीं है. इस बीमारी से पीड़ित लोग हिंसक नहीं होते और समाज के लिए किसी तरह का खतरा नहीं हैं. यह बीमारी बचपने के एक्सपिरिएंस , खराब पैरेंटिंग या फिर इच्छाशक्ति की कमी की वजह से नहीं होती.
आखिर क्या है Schizophrenia की वजह?
इस बीमारी के कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सके हैं. हालांकि, इसके लिए जेनेटिक्स (आनुवांशिकी), दिमागी कैमिस्ट्री में ऊंच-नीच, वायरल इन्फेक्शन, मौसमी फेरबदल के दौरान लापरवाही और पाचन तंत्र की गड़बड़ी को भी कारण बताया जाता है.
क्या हैं इस बीमारी के संकेत?
इस बीमारी में अलग-अलग शख्स के संकेत भी अलग-अलग होते हैं. इसमें लोगों के भीतर सिंपटम धीरे-धीरे महीनों या सालों में दिखते हैं. यह बीमारी कुछ ऐसी है कि आती-जाती रहती है.
आज पूरी दुनिया की जनसंख्या के एक फीसद लोग Schizophrenia से पीड़ित हैं. अकेले अमेरिका में देखें तो सौ में से एक शख्स इस बीमारी के शिकार है. ऐसा भी नहीं है कि यह किसी वर्ग विशेष के लोगों के बीच ही व्याप्त है. यह अमूमन 13 से 25 साल के लोगों के बीच देखी जाती है. यह बीमारी महिलाओं की तुलना पुरुषों में अधिक देखी जाती है.
यदि आपका कोई सगा-संबंधी या फिर नजदीकी ऐसे किसी लक्षण से गुजरता है तो डॉक्टरी सलाह लें और जल्दी इलाज कराएं.
विष्णु नारायण