चीन के साथ बॉर्डर विवाद के बीच सीमा सड़क संगठन (BRO) अपने निर्माण कार्य आगे बढ़ाने की मुहिम में जुटा है. इसके लिए लॉकडाउन के चलते अपने घरों को लौटे मजदूरों को वापस काम पर लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. झारखंड से भी मजदूरों को लाया जाना है, जिसके लिये राज्य सरकार ने एनओसी दे दी है.
बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी बीआरओ केंद्र सरकार का वो संगठन है जो सीमाई क्षेत्रों में सड़क से लेकर बाकी निर्माण कार्य कराता है. कोरोना वायरस के चलते मार्च से देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया था, जिसके चलते तमाम मजदूर अपने-अपने गृहराज्य लौट आये थे. ऐसे में निर्माण कार्य भी रुके हुए थे. अब फिर से इन्हें बहाल करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिये मजदूरों को वापस बुलाया जा रहा है.
BRO के 60 अधिकारियों का डेलीगेशन 9 जून को झारखंड पहुंचने की संभावना है. ये डेलीगेशन सीधे तौर पर मजदूरों की नियुक्ति करेगा. मजदूरों का वेतन उस जगह के हिसाब से तय किया जायेगा जहां उन्हें काम करना होगा. जहां हालात ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं, वहां काम करने वाले मजदूरों को ज्यादा पैसा दिया जायेगा. बताया जा रहा है कि इन मजदूरों का वेतन 15-30 हजार के बीच रखा गया है.
चीन से तनाव के बीच बॉर्डर प्रोजेक्ट्स पूरे करने की तैयारी में सरकार
ट्रेन की भी तैयारी
सीमाई क्षेत्र में मजदूरों को भेजने के लिये ट्रेन की व्यवस्था भी की जा रही है. हाल में ये जानकारी आई थी कि रक्षा मंत्रालय ने रेलवे से इस संबंध में तैयार रहने के लिये कहा है. रेलवे से 11 ट्रेन की मांग की गई है, जिनसे लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तक प्रवासी मजदूरों को भेजा सके. ये ट्रेन खासकर बिहार और झारखंड के लिये मांगी गई हैं.
ऐसे में अब जबकि बीआरओ का दल झारखंड पहुंच रहा है तो उम्मीद है जल्द ही मजदूरों को सीमाई क्षेत्र में ले जाकर निर्माण का काम चालू कराया जा सकेगा. गौरतलब है कि चीन से पूरा विवाद भी एक सड़क निर्माण को लेकर ही शुरू हुआ है. पूर्वी लद्दाख में बीआरओ द्वारा बनाई जा रही एक सड़क का चीनी सैनिकों ने इलाका अपनी सीमा में होने का दावा करते हुये विरोध किया. इसके बाद दोनों तरफ से सैनिकों में टकराव की स्थिति पैदा हो गई, जो अभी तक जारी है.
सत्यजीत कुमार