झारखंड का चुनावी दंगल रोजाना रोमांचक होता जा रहा है. साल 2014 के विधानसभा चुनाव में दो सीटों से उतरने वाले झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी दोनों ही सीटों से चुनाव हार गए थे, लेकिन बाबूलाल मरांडी एक बार फिर से इन्हीं दो सीटों में से एक सीट धनवार से अपनी राजनीतिक किस्मत आजमा रहे हैं.
2014 में दो सीटों से उतरे थे बाबूलाल मरांडी
15 नवंबर 2000 को जब झारखंड का गठन हुआ था तो बाबूलाल मंराडी बीजेपी के नेता हुआ करते थे. उस दौरान उन्हें राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया था. लेकिन 2006 में वे बीजेपी से अलग हो गए और झारखंड विकास मोर्चा (JVM) नाम से खुद की पार्टी का गठन किया. 2014 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मंराडी दो सीटों से उतरे थे. पहली सीट थी धनवार और दूसरी सीट थी गिरिडीह. धनवार विधानसभा क्षेत्र बाबूलाल मंराडी का पैृतक निवास भी है.
दोनों सीटों पर मिली थी हार
वोटों के बंटवारे की वजह से बाबूलाल मंराडी धनवार सीट पर लगभग 11 हजार वोट से हार गए थे. हैरानी की बात ये है कि इस सीट से सीपीआई (एमएल) के उम्मीदवार राजकुमार यादव ने जीत हासिल की थी. बाबूलाल मंराडी को इस सीट पर 39 हजार 922 वोट मिले थे और वे दूसरे नंबर पर रहे थे, जबकि जीत हासिल करने वाले सीपीआई (एमएल) उम्मीदवार को 50 हजार 634 वोट मिले थे. इस सीट से बीजेपी कैंडिडेट तीसरे स्थान पर रहे थे.
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गिरिडीह सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में बाबूलाल मंराडी को न सिर्फ हार का मुंह देखना पड़ा था, बल्कि वो तीसरे स्थान पर रहे थे. गिरिडीह सीट में बाबूलाल मंराडी को 26 हजार 665 वोट मिले थे, जबकि इस सीट से चुनाव जीतने वाले बीजेपी को कैंडिडेट निर्भय कुमार शाहबादी को 57 हजार 450 वोट मिले थे. दूसे नंबर पर रहने वाले झामुमो के सुदिव्य कुमार को 47 हजार 506 वोट मिले थे.
धनवार सीट से इस बार फिर दंगल
2014 के शिकस्त को भूलते हुए बाबूलाल मंराडी एक बार फिर से पुरानी सीट से ही मैदान में उतर रहे हैं. बाबूलाल मंराडी ने मंगलवार को धनवार सीट से अपनी उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया है. बता दें कि झारखंड विकास मोर्चा ने इस बार राज्य की सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. जेवीएम का राज्य में किसी पार्टी से गठबंधन नहीं है. हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उनसे संपर्क साधने की कोशिश की थी, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई.
हेमंत भी उतरे थे दो सीटों से
2014 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन भी दो सीटों से चुनाव लड़े. हेमंत बरहेट और दुमका सीट से चुनाव लड़े थे. बरहेट सीट से हेमंत सोरेन चुनाव जीतने में तो कामयाब रहे लेकिन दुमका सीट से उन्हें मुंह की खानी पड़ी. बरहेट सीट पर हेमंत सोरेन को 62 हजार 515 वोट मिले थे और उन्हें जीत मिली थी. उन्होंने लगभग 22 हजार वोटों से बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को शिकस्त दी थी.
हालांकि हेमंत सोरेन को अपने ही गढ़ दुमका में हार का सामना करना पड़ा. दुमका सीट पर बीजेपी की लुईस मंराडी ने उन्हें 4900 वोटों से हराया. इस सीट पर लुईस मरांडी को 69760 वोट मिले थे, जबकि हेमंत सोरेन को 64 हजार 846 वोट मिले थे.
पन्ना लाल