कभी कांग्रेस का गढ़ रहे डबवाली में INLD का दबदबा, क्या इस बार खिलेगा कमल?

चौधरी देवीलाल के परिवार की परंपरागत सीटों में गिनी जाने वाली डबवाली सीट पर 2014 में तीसरे नंबर पर रही बीजेपी ने उन्हीं के छोटे बेटे जगदीश के पुत्र आदित्य चौटाला को चुनाव मैदान में उतारा है.

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मंडी डबवाली रेलवे स्टेशन (फोटोः india rail info) मंडी डबवाली रेलवे स्टेशन (फोटोः india rail info)

बिकेश तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 8:21 PM IST

  • बीजेपी से मैदान में हैं आदित्य चौटाला
  • नैना चौटाला हैं निवर्तमान विधायक

हरियाणा की सियासत ने 2019 में करवट ली है. कभी प्रदेश की सियासत का सिरमौर रहे चौटाला परिवार में विघटन के बाद पहली बार होने जा रहे विधानसभा चुनाव में परिवार का प्रतिष्ठा दांव पर है, तो चौधरी देवीलाल की सियासी विरासत के वारिस ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) की भी. ऐसे में कुछ सीटों की जंग रोचक हो गई है.

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कभी कांग्रेस का गढ़ रहे सिरसा जिले के डबवाली विधानसभा क्षेत्र का नाम भी इसी सूची में शुमार है, जहां पिछले कुछ वर्षों से चौटाला परिवार और आईएनएलडी का दबदबा रहा है. चार चुनावों से यह सीट आईएनएलडी के कब्जे में ही रही है. हालांकि इस बार बदले परिवेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने भी चौटाला कार्ड खेल आईएनएलडी को सकते में डाल दिया है.

चौधरी देवीलाल के परिवार की परंपरागत सीटों में गिनी जाने वाली डबवाली सीट पर 2014 में तीसरे नंबर पर रही बीजेपी ने उन्हीं के छोटे बेटे जगदीश के पुत्र आदित्य चौटाला को चुनाव मैदान में उतारा है.

नैना सिंह चौटाला हैं विधायक

आईएनएलडी ने 2014 में इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पुत्र अजय सिंह चौटाला की पत्नी नैना सिंह चौटाला को टिकट दिया था. सांसद रहे दुष्यंत सिंह की मां नैना चुनाव जीत कर विधानसभा भी पहुंचीं, लेकिन अब वह आईएनएलडी से निकाले जाने के बाद पति और पुत्र के बनाए दल जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में हैं.

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डबवाली से आदित्य चौटाला की उम्मीदवारी के बाद सियासत के बदले समीकरण देख नैना चौटाला इस सीट की बजाय बाढ़डा सीट से किस्मत आजमा रही हैं. बीजेपी के चौटाला को चुनौती देने के लिए आईएनएलडी ने डॉक्टर सीताराम, जेजेपी ने डॉक्टर सरबजीत सिंह मसिता और कांग्रेस ने अमित सिहाग पर दांव लगाया है.  

क्या है डबवाली का सियासी अतीत?

डबवाली के सियासी अतीत की बात करें तो शुरुआती दौर में यह भी कांग्रेस का गढ़ रहा. सन 1967 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के केसरा राम विजयी हुए थे. चौधरी देवीलाल के प्रभाव वाली यह सीट आईएनएलडी के अस्तित्व में आने के बाद धीरे-धीरे पार्टी के गढ़ में तब्दील हो गई. पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पुत्र अभय सिंह चौटाला भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

क्या गुल खिलाएगा बीजेपी का चौटाला कार्ड

राजस्थान और पंजाब से लगती सीमा पर स्थित हरियाणा की इस सीट पर सबकी नजरें टिकी हैं. बीजेपी के चौटाला कार्ड खेलने के बाद नैना ने परिवार के सदस्यों के बीच सियासी जंग टालने के लिए अपनी सीट बदल ली. अब देखना यह होगा कि क्या आदित्य चौटाला अपनों का वर्चस्व समाप्त कर कमल खिला पाएंगे या आईएनएलडी की सियासी घेरेबंदी में उलझ जाएंगे.  

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