मोटापे के लिए आप नहीं, आपका पार्टनर है जिम्मेदार

क्या इन दिनों आपके साथ भी ऐसा हो रहा है कि ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर आप अपना चेहरा देखने के बजाय पेट देख रही हैं? अलग-अलग एंगल बनाकर ये जानने की कोशिश करती हैं कि कौन सा एंगल कम मोटा नजर आ रहा है?

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2015,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST

क्‍या आप शादीशुदा हैं? क्या इन दिनों आपके साथ भी ऐसा हो रहा है कि ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर आप अपना चेहरा देखने के बजाय पेट देखती हैं? अलग-अलग एंगल बनाकर ये जानने की कोशिश करती हैं कि कौन सा एंगल कम मोटा नजर आ रहा है?

अगर आपके साथ भी ये बातें हो रही हैं और आप खुद को इस बेडौल शरीर के लिए दोषी ठहरा रही हैं तो आपको बता दें कि ये अकेले आपकी गलती नहीं है. इसके लिए अगर आपकी लाइफस्टाइल जिम्मेदार है तो आपका पार्टनर भी इसका बराबर का दोषी है.

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हालिया हुई एक स्टडी में ये बात कही गई है कि दुनियाभर में शादी-शुदा लोगों का BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स सबसे अधिक होता है. स्टडी में एक बड़ी ही दिलचस्प बात से कही गई है कि शादी की रस्मों के दौरान ही उनका वजन करीब दो किलो तक बढ़ जाता है. स्टडी पर यकीन करें तो शादीशुदा जोड़े सिंगल लोगों की तुलना में ज्यादा बेहतर खाना खाते हैं.

एक ओर जहां कपल्स खान-पान का पूरा ध्यान रखते हैं वहीं उनका शारीरिक श्रम लगभग शून्य होता है. उनके मोटापे की ये एक प्रमुख वजह होती है. यूनिवर्सिटी ऑफ बैसेल एंड द मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट ने जीएफके के साथ मिलकर कपल्स और सिंगल्स के BMI का तुलनात्मक अध्ययन किया है.

हालांकि ये कोई पहली स्टडी नहीं है जिसमें ऐसा कुछ कहा गया है. इससे पहले हुई कई स्टडीज में ये बात कही गई है कि शादी इंसान को स्वस्थ बनाती है.

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कपल्स में मोटापे का कारण जानने के लिए उन्होंने कई कपल्स से कुछ सवाल किए. उनसे उनके खाने-पीने और एक्सरसाइज से जुड़े कई सवाल किए गए. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, सामान्य तौर पर BMI 18.5 से 25 तक होता है. ओवरवेट होने पर ये 25 से 30 के बीच में और मोटापा होने पर 30 से अधिक.

मेल सिंगल्स में एवरेज बॉडी मास इंडेक्स 25.7 रहा, जबकि एक शादीशुदा मर्द का बॉडी मास इंडेक्स 26.3 रहा. महिलाओं में भी ये क्रमश: 25.1 और 25.6 रहा. इन आंकड़ों का अंतर भले ही कम लग रहा हो लेकिन ये अर्थपूर्ण है.

इस स्टडी की महत्वपूर्ण बात ये है कि इससे ये समझने में आसानी होती है कि हमारा सोशल-इकोनॉमिक स्टेटस, नेशनेलिटी और उम्र तीनों ही शरीर को प्रभावित करते हैं.

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