कोरोना ने खाली किए सरकारों के खजाने, वेतन कटौती शुरू

कोरोना के कहर से ठप हुईं आर्थिक गतिविधियों ने न केवल निजी कंपनियों बल्कि सरकारों के भी बजट बिगाड़ दिए हैं. यही कारण है कि राज्य सरकारों ने कर्मचारियों के वेतन में कटौतियों का ऐलान करना शुरू कर दिया है. ताजा खबर महाराष्ट्र से है. महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस से अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने के मद्देनजर मुख्यमंत्री समेत राज्य में जनप्रतिनिधियों के इस महीने के वेतन में 60 प्रतिशत की कटौती की जायेगी

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शुभम शंखधर

  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 10:15 PM IST

कोरोना के कहर से ठप हुईं आर्थिक गतिविधियों ने न केवल निजी कंपनियों बल्कि सरकारों के भी बजट बिगाड़ दिए हैं. यही कारण है कि राज्य सरकारों ने कर्मचारियों के वेतन को फिलहाल टालने के लिए उनमें कटौती का ऐलान करना शुरू कर दिया है.

ताजा खबर महाराष्ट्र से है. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों समेत निर्वाचित प्रतिनिधियों को मार्च महीने का पूरा वेतन नहीं दिया जाएगा. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार से बकाया राशि न मिलने के कारण यह निर्णय लेना पड़ा. इससे पहले पवार ने कहा था कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले भार को देखते हुए वेतन में साठ प्रतिशत की कटौती की जाएगी. बाद में जारी किए गए सरकारी आदेश में कहा गया कि बकाया वेतन बाद में दिया जाएगा.

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इससे पहले पवार ने कहा था कि मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों समेत निर्वाचित प्रतिनिधियों के मार्च महीने के वेतन में से साठ प्रतिशत कटौती की जाएगी. इस वजह उन्होंने कोरोना के कारण बंदी से प्रभावित होने वाली आर्थिक गतिविधियों को माना था. पवार ने कहा था कि “कोरोना वायरस के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है और लॉकडाउन के कारण संसाधनों में कटौती की गयी है.”

अब वित्त विभाग द्वारा जारी एक सरकारी आदेश में कहा गया कि मार्च का वेतन दो किस्तों में दिया जाएगा. सरकारी आदेश में कहा गया कि कोरोना वायरस फैलने के कारण सभी निजी प्रतिष्ठान और औद्योगिक इकाईयां बंद हैं जिसके कारण राज्य के राजस्व में कमी आई है. सरकारी आदेश में कहा गया कि वेतन में कटौती अर्ध सरकारी संगठनों और विश्वविद्यालयों समेत अनुदान प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों पर भी लागू होगी.

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पवार ने कहा कि वित्त वर्ष के अंतिम दिन मंगलवार तक केंद्र सरकार की ओर से 16,654 करोड़ की बकाया राशि प्राप्त नहीं हुई है इसलिए दो किस्त में वेतन देने का निर्णय लेना पड़ा. उन्होंने कहा, “यदि बकाया राशि मिल जाती तो एक किस्त में ही वेतन दे दिया जाता.”

वहीं दूसरी तरफ, उड़ीसा सरकार ने भी सरकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों के वेतन को टालने का निर्णय लिया है. सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री, राज्य के मंत्रियों, विधायकों, निगमों के चेयरमैन और स्थानीय जन प्रतिनिधियों के कुल वेतन में 70 फीसदी की तत्काल कटौती की जाएगी. इसी तरह राज्य में तैनात आइएएस, आइपीएस और आइएफएस अधिकारियों के वेतन में भी 50 फीसदी की कटौती होगी. यह भुगतान राज्य सरकार भविष्य में देंगी.

इससे पहले सोमवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कोरोना के असर से प्रभावित हुई राज्य के वित्तीय स्थिति की समीक्षा बैठक के बाद वेतन में कटौटी कै फैसला लिया. सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबित मुख्यमंत्री, राज्य के सभी मंत्रियों, विधायकों, विधान परिषद के सदस्यों, विभिन्न निगमों के चेयरमैन और स्थानीय जन प्रतिनिधियों के वेतन में 75 फीसदी कटौती का निर्णय लिया गया.

इसके अलावा ऑल इंडिया सर्विसेज के कर्मचारियों जैसे आइएएस, आइपीएस और आइएफएस के वेतन में 60 फीसदी की कटौती की गई. इसके अलावा चतृर्थ श्रेणी के कर्मचारियों और निविदा पर नियुक्त लोगों की तनख्वाह में 10 फीसदी की कटौती की गई है. यह कटौती सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन में भी की गई है. चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों की पेंशन 10 फीसदी और बाकियों की पेंशन में 50 फीसदी की कटौती की गई है. इसके अलावा राज्य सरकार के लिए सभी निगमों और वित्त पोषित इकाइयों में कर्मचारियों के वेतन में 50 फीसदी की कटौती की गई है.

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आने वाले दिनों में यह कदम अन्य राज्य सरकारों या केंद्र की ओर से भी उठाए जा सकते हैं क्योंकि कोरोना के असर से सभी सरकारों को कर संग्रह के मोर्चे पर बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है. केंद्र और राज्य सरकार आने वाले दिनों में बॉण्ड और ओवर ड्रॉफ्ट के जरिए भारी मात्रा में पैसा जुटाती दिख सकती हैं.

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