विपक्षी दलों के हंगामे के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता बिल (संशोधन)- (Citizenship Amendment Bill) पेश किया. इस बिल के पेश करते ही कांग्रेस पार्टी ने हंगामा शुरू कर दिया. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है, क्योंकि यह बिल समानता का उल्लंघन करता है. सरकार अनुच्छेद 14 को नष्ट कर रही है.
कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है. उन्होंने आगे कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. इसलिए यह बिल नहीं लाया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें लोगों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है?
उन्होंने आगे कहा, 'आर्टिकल 13, आर्टिकल 14 को कमजोर किया जा रहा है. यह बिल संविधान के अनुच्छेद 5, 14 और 15 की मूल भावना के खिलाफ है.'
इससे पहले अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक किसी भी तरह से देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा कि वह अभी बिल पेश कर रहे हैं और विपक्षी सांसदों के एक-एक सवालों का जवाब देंगे, तब आप वॉकआउट मत करिएगा.
शाह ने यह भी कहा कि यह बिल 0.001 प्रतिशत भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. जब मैं विधेयक पर चर्चा करूंगा, उसके बाद सदन में सवाल करें. मैं उसका जवाब दूंगा, अभी बिल के मेरिट पर बात करें. बाद में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बिल का विरोध करते हुए कहा, 'धर्म क्या हमारे देश का आधार हो सकता है? जिन्हें धर्म के आधार पर देश चाहिए था, उन्होंने पाकिस्तान बनाया.'
बता दें कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) का उद्देश्य हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है.
इस बिल के ज़रिये मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाएगा, ताकि चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट मिल सके. हालांकि इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष बिल का विरोध कर रहा है.
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