अपनी कूटनीति से चंद्रगुप्त मौर्य जैसे छोटे से बालक को अखंड भारत का सम्राट बनाने वाले आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मनुष्य रूपी जीवन की स्थितियों की बात की है और विकट समय में उन परिस्थितियों से निकलने के बारे में भी बताया है. तक्षशिला के गुरुकुल में अर्थशास्त्र के आचार्य रहे चाणक्य को विष्णु गुप्त और कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है. उनके बताए हुए मार्गों पर चलकर अखंड भारत के कई राजाओं ने अपना शासन चलाया. उनकी नीतियां आज भी उतनी ही प्रसांगिक हैं जितनी पहले थीं. वो अपने नीति शास्त्र में 4 प्रकार की स्थितियों के बारे में बताते हैं, जिसमें मनुष्य को अपने घर या उस स्थान को त्याग देना चाहिए, जहां वो रह रहा हो. आइए जानते हैं उन 4 हालातों के बारे में...
उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे।
असाधुजनसंपर्के य: पलायति स जीवति।।
> चाणक्य के मुताबिक अगर आपके आस-पास दंगे हो जाते हैं तो उस स्थिति में उस स्थान को तुरंत छोड़ देना चाहिए और कहीं और चले जाना चाहिए. वहां पर रहना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है. आपको चोट भी लग सकती है और जान भी जा सकती है.
> आचार्य कहते हैं कि अगर कोई दूसरा राजा आपके राज्य पर आक्रमण कर दे तो ऐसी स्थिति में वहां से निकल जाना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर युद्ध में आपकी मौत भी हो सकती है.
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> जहां आप हैं अगर वहां अकाल पड़ जाए और भुखमरी फैल जाए तो उस जगह को तुरंत छोड़ देना चाहिए. और ऐसी जगह पर चले जाना चाहिए जहां पर आपके खाने-पीने की पूरी व्यवस्था हो. ऐसे में आप जीवित बच जाएंगे.
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> चरित्रहीन लोगों को बीच नहीं रहना चाहिए और अगर आपके चारों ओर ऐसे ही लोग हों तो उस जगह को छोड़ देना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर आपके परिवार और संतान पर उन चरित्रहीन लोगों के व्यवहार का असर पड़ता है. इससे भविष्य में खतरा हो सकता है.
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