विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नाम से मशहूर आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में जीवन के विकट परिस्थियों और रहस्यों को सुलझाने व उससे बाहर आने के लिए कई नीतियों का उल्लेख किया है. चाणक्य की ये नीतियां हमेशा से मनुष्य के जीवन के लिए उपयोगी मानी गई हैं. चाणक्य नीति के पांचवें श्लोक में चाणक्य ऐसे चार चीजों के बारे में बताते हैं जिनके साथ रहना मनुष्य के जीते जी मरने के समान होता है. आइए जानते हैं उन चार चीजों के बारे में...
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायक:।
स-सर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशय:।।
> चाणक्य के मुताबिक दुष्ट स्त्री, नीच स्वभाव के मित्र, जवाब देने वाले नौकर और सांप के वास वाले घर में रहना, ये व्यक्ति के मृत्यू का कारण हैं. इसमें सन्देह नहीं करना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि इन चारों का त्याग कर देना चाहिए क्योंकि मनुष्य के लिए ये चारों चीजें जीती जागती मौत के समान हैं.
> चाणक्य कहते हैं कि घर में सांप का वास है तो उसे तुरंत कैसे भी खत्म कर देना चाहिए. घर में सांप के जिंदा रहने पर मनुष्य के जीवन पर हमेशा खतरा बना रहता है.
> इस श्लोक में चाणक्य आगे कहते हैं कि किसी भी सज्जन व्यक्ति के लिए उसकी पत्नी का दुष्य होना बुरा है. पत्नी के ऐसा होने पर पति आत्महत्या करने पर विवश हो सकता है.
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> इसी प्रकार अगर आपका मित्र धूर्त है और हमेशा आपके आसपास रहता है तो वो आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है. ऐसे मित्र का तुरंत साथ छोड़ देना चाहिए. मित्र को हमेशा समझदार होना चाहिए.
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> चाणक्य कहते हैं कि सेवक या नौकर अगर मुंहलगा हो और बात-बात पर जवाब देता हो तो वो आपको कभी भी धोखा दे सकता है. उसका दिया हुआ धोखा आपकी जान भी ले सकता है, क्योंकि ज्यादातर सेवकों को आपकी गुप्त बातों की जानकारी होती है.
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