चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र यानी चाणक्य नीति में व्यक्तिगत जीवन के सफर में आने वाली कठिनाइयों के लिए अनेकों नीतियों का वर्णन किया है. चाणक्य की इन नीतियों को कई राजा-महाराजओं ने भी अपनाया. इनका अनुसरण और पालन करने से जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं. चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ के एक श्लोक में 8 ऐसे प्राणियों का वर्णन किया है जिन पर किसी दूसरे व्यक्ति के दुख का कोई असर नहीं होता...
राजा वेश्या यमो ह्यग्निस्तकरो बालयाचको।
पर दु:खं न जानन्ति अष्टमो ग्रामकंटका:।।
1. इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि राजा यानी शासन व्यवस्था को कभी किसी व्यक्ति के दुख का कोई फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि वह कानून के नियमों में बंधा होता है और उसके आगे दुख व भावनाओं को नजरअंदाज कर देता है.
2. चाणक्य के मुताबिक वैश्या को सिर्फ अपने काम से मतलब होता है, उसे इस बात का कोई फर्क नहीं होता कि दूसरा व्यक्ति कितना दुखी है या उसकी पीड़ा कितनी है.
3. यमराज का जिक्र करते हुए चाणक्य कहते हैं कि यमराज पर लोगों के दुख-दर्द का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. लोगों की भावनाओं को परे रखते हुए समय आने पर वो प्राण हर ही लेते हैं. अगर वो लोगों के दुख को समझने लगे तो किसी की मौत ही नहीं होगी.
4. अग्नि मनुष्य के दुख-दर्द से बेपरवाह होती है, आग की प्रवृति सबकुछ जला डालने की है. अग्नि जिंदा रहने के लिए जितनी जरूरी है उतनी ही खतरनाक भी, उस पर किसी के दुख-दर्द का कोई असर नहीं होता.
5. चाणक्य ने कहा है कि चोर किसी की पीड़ा नहीं समझते. उसका एक ही लक्ष्य होता है चोरी करना. उसके चोरी से सामने वाले के साथ कितनी बड़ी परेशानी हो सकती है इससे उसे कोई मतलब नहीं होता.
चाणक्य नीति: बनना चाहते हैं धनवान और घर में नहीं टिकते पैसे तो करें ये 6 काम
6. चाणक्य ने 8 प्राणियों में बच्चों को भी शामिल किया है. वो कहते हैं कि बच्चों को किसी की परेशानी से कोई मतलब नहीं होता. वो नादान होते हैं और इसलिए लोगों की भावनाओं को नहीं समझ पाते.
7. भिक्षु यानी मांगने वाला व्यक्ति सिर्फ अपने से मतलब रखता है, उस पर दूसरों का दुख का प्रभाव नहीं पड़ता.
चाणक्य नीति: पिछले जन्म के पुण्य से ही मनुष्य को मिलता है इन 6 चीजों का सुख
8. ग्रामकंटक यानी गांव के लोगों को परेशान करने वाले लोगों पर किसी दूसरे की पीड़ा का असर नहीं होता. वो किसी भी रूप में लोगों को परेशान करते हैं.
चाणक्य इन 8 प्राणियों राजा, वेश्या, यमराज, अग्नि, चोर, बालक, भिक्षु, और ग्रामकंटक यानी गांव के लोगों को परेशान करने वाले लोगों का वर्णन करते हुए कहते हैं कि ये लोग कभी किसी दूसरे व्यक्ति के दुख और संताप को नहीं देखते. ये अपने मन के अनुसार काम करते हैं. इसलिए इनसे दया की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए.
aajtak.in