देश की 40 सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 50 फीसदी शिक्षकों के पद खाली

देशभर के उच्च शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों की भारी कमी पर भी संसद में चिंता व्यक्त की गई है. संसद की एक समिति ने इस बात पर जोर दिया है कि पर्याप्त और योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए क्योंकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिये यह जरूरी है.

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मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर

अनुग्रह मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 10:11 AM IST

देश के 40 केंद्रीय विश्व विद्यालयों में प्रोफेसरों के 1200 से ज्यादा पद खाली हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गुरुवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी गई है. मंत्रालय में राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि प्रोफेसरों के स्वीकृत 2417 पदों में से 1262 पद खाली हैं.

राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि पहली जनवरी 2018 की स्थिति के अनुसार इस मंत्रालय के क्षेत्राधिकार में आने वाले देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के स्वीकृत 2417 पदों में से 1262 पद रिक्त हैं. उन्होंने बताया कि 2016-17 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी UGC ने 72 प्रोफेसरों की नियुक्ति की जबकि 2015-16 में 41 प्रोफेसरों की नियुक्ति की गयी थी. सपा सांसद नरेश अग्रवाल के एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी गई है.

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इसके अलावा देशभर के उच्च शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों की भारी कमी पर भी संसद में चिंता व्यक्त की गई है. संसद की एक समिति ने इस बात पर जोर दिया है कि पर्याप्त और योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए क्योंकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिये यह जरूरी है.

उच्च शिक्षण संस्थाओं का हाल

राज्यसभा में पेश मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबंधित स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति देशभर में उच्च शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों की भारी कमी के संबंध में समय-समय पर अपनी चिंता व्यक्त करती रही है. समिति ने पाया कि नामी केंद्रीय विश्वविद्यालयों से लेकर हाल ही में स्थापित किये गए विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों सहित आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थाओं तक में यह समस्या उच्च शिक्षा के विकास और शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा के तौर पर उभरी है.

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समिति ने कहा कि स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है और निकट भविष्य में इसमें सुधार नहीं दिखाई देता है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘समिति का कहना है कि पर्याप्त और योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिये जरूरी है.’ समिति इस दिशा में विभाग द्वारा सेवानिवृति की आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष किये जाने और वेतन संरचना का सुधार करने जैसे कदमों की सराहना करती है. लेकिन यह इसका समाधान नहीं है.

समिति सिफारिश करती है कि भर्ती प्रक्रिया को पद रिक्त होने से पहले ही प्रारंभ कर देना चाहिए ताकि भर्ती के बाद नवनियुक्त व्यक्ति तत्काल पद ग्रहण कर सके.

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