दिग्गज शतरंज खिलाड़ी और पूर्व विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद पांच से दस मई के बीच होने वाली टीम प्रतियोगिता ऑनलाइन नेशंस कप में भारतीय चुनौती की अगुवाई करेंगे. अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (फिडे) और चेस.कॉम ने घोषणा की कि ऑनलाइन नेशंस कप में छह टीमें भाग लेंगी.
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फिडे ने अपनी वेबसाइट से कहा कि इस टूर्नामेंट में रूस, अमेरिका, यूरोप, चीन और भारत के अलावा शेष विश्व की टीम भी भाग लेगी. इस प्रतियोगिता की इनामी राशि 180,000 डॉलर (करीब एक करोड़ 39 लाख रु.) है. संन्यास ले चुके दिग्गज गैरी कास्पारोव और व्लादीमीर क्रैमनिक क्रमश: यूरोप और भारतीय टीमों के कप्तान होंगे. कभी इन दोनों के प्रतिद्वंद्वी रहे आनंद भारत की तरफ से पहले बोर्ड पर खेलेंगे.
इसमें दुनिया के सभी शीर्ष खिलाड़ियों के भाग लेने की संभावना है. पहले चरण में छह टीमें डबल राउंड रॉबिन में एक-दूसरे से भिड़ेंगी. शीर्ष पर रहने वाली दो टीमें दस मई को सुपर फाइनल में खेलेंगी.
दो महीने से जर्मनी में फंसे हैं विश्वनाथन आनंद
पांच बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद का मानना है कि ऑनलाइन माध्यम का सहारा लेकर शतरंज दुनियाभर में कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से काफी अच्छी तरह सामंजस्य बैठाने में सफल रहा है. आनंद ने साथ ही कहा कि दो महीने से जर्मनी में फंसे होने के कारण वह भी ऑनलाइन माध्यम से ही अपने परिवार के संपर्क में हैं.
50 साल के आनंद बुंदेसलीगा शतरंज में एससी बादेन की ओर से खेलने के लिए फरवरी में जर्मनी गए थे. कोराना वायरस महामारी के कारण हालांकि यात्रा संबंधित पाबंदियों के कारण वह स्वदेश वापस नहीं लौट सके.
फ्रेंकफर्ट के समीप रह रहे आनंद ने पीटीआई से कहा, ‘मैं कहूंगा कि जर्मनी में स्थिति काफी सहज है. मैं छोटे शहर में हूं. मुझे एक दो बार बाहर चहलकदमी करने का मौका मिला... बेशक, सुरक्षित दूरी बनाते हुए.’
आनंद ने माना- इंटरनेट पर शतरंज पसंद है
उन्होंने कहा, ‘किसी को नहीं पता कि इसका (कोविड-19 का) अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा. सबसे पहले शतरंज की बात करते हैं. पहले ही इंटरनेट पर काफी शतरंज होता था. इसलिए पूरी तरह से ऑनलाइन प्रक्रिया से सामंजस्य बैठाना तुलनात्मक रूप से आसान रहा.’
इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, ‘इसके बावजूद यह थोड़ा स्तब्ध करने वाला है कि इतने सारे टूर्नामेंट रद्द हो गए और सभी घर में बैठे हैं. इंटरनेट पर शतरंज खेलना काफी मजेदार होता है.’ उन्होंने कहा, ‘जर्मनी में कोरोना वायरस का काफी प्रकोप नहीं है क्योंकि यहां मृतकों की संख्या काफी कम है. यहां लोग सहज नजर आ रहे हैं. एकमात्र समस्या यह है कि मैं अपने परिवार से कट गया हूं, लेकिन इसके अलावा मैं यहां ठीक हूं.’
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