FIDE World Cup Chess Tournament: भारतीय शतरंज के ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानंद ने फिडे वर्ल्ड कप शतरंज टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में दमदार प्रदर्शन किया. यह मैच दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के खिलाफ हो रहा है. फाइनल के तहत दो दिन में दो बाजी खेली गईं और दोनों ही ड्रॉ पर खत्म हुईं.
18 साल के प्रज्ञानंद ने दोनों बाजियों में 32 साल के कार्लसन को कड़ी टक्कर दी. अब चैम्पियन का फैसला आज (गुरुवार) को टाई ब्रेकर के जरिए होगा. दोनों के बीच पहली बाजी 34 चालों तक गई थी, मगर नतीजा नहीं निकल सका. जबकि दूसरी बाजी में दोनों के बीच 30 चालें चली गईं. जो भी यह वर्ल्ड कप खिताब जीतेगा, उसे बतौर इनाम एक लाख 10 हजार अमेरिकी डॉलर मिलेंगे.
क्या है टाई ब्रेकर के नियम?
- फिडे वर्ल्ड कप शतरंज टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में दो क्लासिकल बाजियां खेली जाती हैं. दोनों बाजियां ड्रॉ होने पर फैसला टाई ब्रेकर से होता है.
- टाईब्रेकर में 25-25 मिनट की दो बाजियां खेली जाएंगी. यदि इसमें भी फैसला नहीं होता है, तब 10-10 मिनट की दो बाजियां फिर खेली जाएंगी.
- यदि यहां भी चैम्पियन का फैसला नहीं हो पाता है, तब 5-5 मिनट की बाजी खेली जाएगी. नतीजा नहीं निकलने पर आखिर में 3-3 मिनट की बाजी खेली जाएगी.
- इस टूर्नामेंट से 3 खिलाड़ी कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई करेंगे. प्रज्ञानंद ने फाइनल में पहुंचने के साथ ही 2024 के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वॉलिफाई कर लिया है.
- कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में 8 खिलाड़ी होते हैं, जिसका विनर अगले साल वर्ल्ड चैम्पियन चीन के डिंग लिरेन को चुनौती देगा. विजेता बनने पर वह वर्ल्ड चैम्पियन कहलाएगा.
सेमीफाइनल में फाबियानो को हराया था
प्रज्ञानंद ने सेमीफाइनल में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फाबियानो करूआना को 3.5-2.5 से हराकर उलटफेर करते हुए फाइनल में जगह बनाई थी. प्रज्ञानंद महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद के बाद वर्ल्ड कप फाइनल में जगह बनाने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं.
प्रज्ञानंद की सेमीफाइनल में भी ऐतिहासिक जीत रही थी. दो मैचों की क्लासिकल सीरीज 1-1 से बराबरी पर समाप्त होने के बाद प्रज्ञानंद ने बेहद रोमांचक टाईब्रेकर में अमेरिका के दिग्गज ग्रैंडमास्टर को पछाड़ा था.
10 साल की उम्र में बने इंटरनेशनल मास्टर
प्रज्ञानंद भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर हैं. वह भारत के शतरंज के प्रतिभाशाली खिलाड़ी माने जाते हैं. वो महज 10 साल की उम्र में इंटरनेशनल मास्टर बन गए. ऐसा करने वाले वह उस समय सबसे कम उम्र के थे. वहीं 12 साल की उम्र में प्रज्ञानंद ग्रैंडमास्टर बने. ऐसा करने वाले वह उस समय के दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे. अब भारत के चेस फैन्स इस बात की उम्मीद कर रहे होंगे कि वो गुरुवार को टाई ब्रेकर में मैग्नस कार्लसन को रौंद देंगे.
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