कोटला की ज‍िस प‍िच पर सीखी क्रिकेट की ABCD, अब उसी पर गौतम गंभीर ने उठाए सवाल, बोले-टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रखने के ल‍िए...

वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली टेस्ट में जीत के बावजूद भारतीय टीम प्रबंधन को कोटला की पिच रास नहीं आई. मुख्य कोच गौतम गंभीर ने कहा कि पिच में न तो तेज गेंदबाजों के लिए उछाल था, न स्पिनरों को मदद मिली, उन्होंने माना कि टेस्ट क्रिकेट को जीवित रखने के लिए पिचों पर गंभीरता से काम करना होगा.

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जीत के बावजूद पिच से निराशा... (Photo, Getty) जीत के बावजूद पिच से निराशा... (Photo, Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:18 PM IST

दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम (फिरोजशाह कोटला) में भारत ने भले ही वेस्टइंडीज को दूसरे टेस्ट में 7 विकेट से हराकर सीरीज 2-0 से अपने नाम कर ली, लेकिन टीम प्रबंधन जीत के बावजूद संतुष्ट नहीं दिखा. मुख्य कोच गौतम गंभीर ने मैच के बाद साफ कहा कि ऐसी पिचें टेस्ट क्रिकेट के लिए खतरे की घंटी हैं, क्योंकि यहां न तो तेज गेंदबाजो को मदद मिली और न ही स्पिनरों को. ध्यान रहे गौतम गंभीर ने घरेलू क्रिकेट में द‍िल्ली की टीम का प्रत‍िन‍िध‍ित्व किया और इस मैदान पर उन्होंने खूब रन बरसाए. 

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‘बल्ले का किनारा लेने के बाद गेंद स्लिप तक जानी चाहिए’

गंभीर ने पिच की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा, 'हमें यहां बेहतर सतह मिल सकती थी. 5वें दिन जाकर परिणाम मिला, लेकिन शुरुआत से ही गेंदबाजों को कोई मदद नहीं थी. गेंद बल्ले का किनारा लेने के बावजूद स्लिप या विकेटकीपर तक नहीं पहुंच रही थी. टेस्ट क्रिकेट तभी रोमांचक बनता है जब गेंद और बल्ले के बीच मुकाबला बराबरी का हो.'

...तेज गेंदबाजों के बिना टेस्ट अधूरा

भारतीय टीम प्रबंधन चाहता है कि नवंबर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कोलकाता और गुवाहाटी में होने वाली टेस्ट सीरीज में ऐसी पिचें तैयार हों जो जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज जैसे तेज गेंदबाजों को अपनी धार दिखाने का मौका दें. गंभीर ने कहा, 'हम हमेशा स्पिनरों की भूमिका पर बात करते हैं, लेकिन हमारे पास बुमराह और सिराज जैसे दो वर्ल्ड-क्लास पेसर हैं. टेस्ट जीतने के लिए उनका योगदान उतना ही अहम है जितना स्पिनरों का.'

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स्पिनरों को भी नहीं मिली मदद

परंपरागत रूप से कोटला की पिच हमेशा स्पिनरों के लिए मददगार रही है, लेकिन इस बार हालात अलग थे. रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर जैसी जोड़ी को भी पिच से कोई खास मदद नहीं मिली. गेंद धीमी थी, उछाल न के बराबर था और बल्लेबाज आसानी से बैकफुट पर जाकर शॉट खेल रहे थे.

गंभीर ने कहा, 'पिच में थोड़ा उछाल और गति होनी चाहिए, ताकि बल्लेबाज सतर्क रहें. यहां की सतह पर गेंद बिल्कुल मर चुकी थी, जिससे मैच का रोमांच खत्म हो गया. यह दर्शकों के लिए भी दिलचस्प नहीं रहा.'

‘टेस्ट क्रिकेट को बचाने की जिम्मेदारी हमारी’

गंभीर का मानना है कि पिचें सिर्फ घरेलू टीम को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि खेल की आत्मा को जिंदा रखने के लिए तैयार की जानी चाहिए.  उन्होंने कहा, 'अगर हमें टेस्ट क्रिकेट को जीवित रखना है, तो हमें पिचों पर ध्यान देना होगा. हमें ऐसी विकेट चाहिए जहां गेंदबाज़ और बल्लेबाज़ दोनों का कौशल परखा जाए.'

आने वाली सीरीज पर नजर

भारत का अगला टेस्ट असाइनमेंट दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ है, जिसकी शुरुआत 14 नवंबर से होगी. टीम चाहेगी कि इस बार विकेट पर ऐसी घास हो, जिससे बुमराह और सिराज अपनी गति और स्विंग से विपक्षी बल्लेबाज़ों को परख सकें. वहीं, दक्षिण अफ्रीका के पास भी कगिसो रबाडा जैसे दिग्गज गेंदबाज होंगे, जिससे सीरीज में मुकाबला और भी दिलचस्प हो जाएगा.

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भारत ने जीत तो हासिल की, लेकिन कोच गंभीर और टीम प्रबंधन का संदेश साफ है- अगर टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रखना है, तो पिचों में जान डालनी होगी. बल्लेबाजr और गेंदबाजी के बीच संतुलन ही असली टेस्ट की पहचान है.

 

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