भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों टीमों के लिए गुवाहाटी का अनजाना मैदान है. यहां के बारसापारा क्रिकेट स्टेडियम में पहली बार टेस्ट मैच होना है और पिच को लेकर किसी के पास स्पष्ट तस्वीर नहीं है. कोलकाता टेस्ट में 30 रनों की हार के बाद भारत पर सीरीज बराबर करने का दबाव है, लेकिन नई पिच पर पहली बार उतरना खुद एक बड़ी परीक्षा बनने जा रहा है.
शनिवार से खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट से पहले पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा की राय भी सामने आई है. उनकी मानें तो यह पिच किसी एक टीम को सीधा फायदा नहीं देगी, लेकिन घरेलू परिस्थितियों को बेहतर समझने की वजह से भारत थोड़ा आगे रह सकता है.
नई पिच, नए सवाल- खेल कैसा होगा कोई नहीं जानता
गुवाहाटी में टेस्ट की मेजबानी पहली बार हो रही है. हां, यहां प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला गया है. महिला वर्ल्ड कप के कुछ मुकाबले भी यहां हुए... इस दैरान गेंद काफी स्पिन होती भी दिखी थी. लेकिन टेस्ट मैच एक अलग मानसिकता और अलग तरह की पिच-व्यवहार मांगता है. यही कारण है कि दोनों ड्रेसिंग रूम में अनिश्चितता साफ झलक रही है.
गुवाहाटी की पिच शुरुआती दिनों में कैसी प्रतिक्रिया देगी? स्पिन पहले आएगा या बाद में? उछाल कैसा होगा? इन सभी सवालों का जवाब मैच के दिन ही मिलेगा.
टीम इंडिया की सबसे बड़ी चिंता कप्तान शुभमन गिल की फिटनेस है, जो गर्दन में ऐंठन से जूझ रहे हैं. अगर वे उपलब्ध नहीं रहते हैं, तो चर्चा है कि साई सुदर्शन को तीसरे नंबर पर भेजा जा सकता है. नंबर-3 पर खेलने के लिए तकनीक, धैर्य और लंबे समय तक क्रीज पर रुकने की क्षमता सबसे बड़ी जरूरत होती है, ऐसे में साई सुदर्शन इस स्लॉट के लिए उपयुक्त माने जा रहे हैं.
दक्षिण अफ्रीका भी अनजान जमीन पर
अक्सर विदेशी टीमें भारत में स्पिनिंग पिचों की चुनौती से निपटने के लिए विशेष तैयारी करती हैं. लेकिन गुवाहाटी की पिच किस तरह खेलेगी, यह दक्षिण अफ्रीका के लिए भी उतना ही अज्ञात है. रयान रिकेल्टन और टेम्बा बावुमा जैसे बल्लेबाज उपमहाद्वीप की परिस्थितियों में संभलकर खेलते हैं, लेकिन पहली बार टेस्ट हो रहे मैदान पर स्थितियां उनका भी इम्तिहान लेंगी.
फिर भी भारत क्यों थोड़ा आगे?
जियोस्टार पर आकाश चोपड़ा ने कहा कि भारत चाहे किसी नए मैदान पर खेले, लेकिन घरेलू मिट्टी भारतीय खिलाड़ियों को फायदा देती है.
भारतीय बल्लेबाज बचपन से ऐसी ही सतहों पर खेलते आए हैं. स्पिन के व्यवहार, असमान उछाल, धीमी पिच... सब भारत के खिलाड़ियों को परिचित लगता है. घरेलू गेंदबाज अलग-अलग परिस्थितियों के हिसाब से तेजी से एडजस्ट करने का कौशल रखते हैं.
यानी गुवाहाटी भले ‘पहली बार’ हो, लेकिन पिच की भाषा भारतीय खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीका से बेहतर पढ़ सकते हैं.
कुल मिलाकर गुवाहाटी टेस्ट भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों के लिए समान चुनौती है. पिच के व्यवहार से लेकर बल्लेबाजी क्रम तक... कई सवाल हैं जिनका जवाब मैदान पर ही मिलेगा. लेकिन घरेलू समझ, अनुभव और परिस्थितियों को जल्दी पढ़ लेने की क्षमता के कारण भारत हल्की बढ़त के साथ इस मुकाबले में उतरता दिख रहा है. अनजान पिच पर किसे फायदा मिलेगा, यह जवाब टेस्ट के पहले सेशन में ही असली कहानी लिख देगा.
aajtak.in