आज हम बिहार की भाषा में समझेंगे कि मोदी के समर्थक अपने नेता के लिए अपनी जान देने को तैयार हैं. यह भावना इतने गहरे स्तर पर है कि लोग इसे अपने लिए गर्व की बात समझते हैं. पिछले दो सौ सालों से राम जन्मभूमि को लेकर लड़ाई चली आ रही है, जिसे कोई नेता सफलतापूर्वक पूरा नहीं कर पाया था.