भारतीय कहां से आए? हम भारतीयों का मूल स्रोत क्या है? लंबे समय से बहस का मुद्दा रहे इस टॉपिक कई थ्योरीज दिए जाते हैं. इस बारे में कभी आर्कटिक होम थ्योरी का हवाला दिया जाता है जो बताता है कि भारतीयों का मूल ठिकाना कभी उत्तरी ध्रुव था. 8000 वर्ष ईसा पूर्व भौगोलिक कारणों से वहां से लोगों का विस्थापन शुरू हुआ फिर ये लोग उत्तरी यूरोप और एशिया की ओर आए.
एक दूसरी थ्योरी कहती है कि भारतीय यूरेशियन घास के मैदान को लांघते हुए इस भूमि पर पहुंचे. ये घास के मैदान पूर्वी यूरोप से लेकर सेंट्रल एशिया, चीन और मंगोलिया तक फैले हैं.
अब एक नए आनुवंशिक अध्ययन (Genetic study) में एक आश्चर्यजनक खोज सामने आई है जो भारतीयों के मूल इतिहास को और अधिक पुख्ता करती है।
1.4 अरब भारतीयों के बीच मौजूद भारी विविधता इंडियन के मूल स्रोत का आकलन करने के कठिनाई के सबसे बड़े कारकों में से एक बनी हुई है. नए आनुवंशिक अध्ययन में भारतीय वंश परंपरा की जड़ें तीन प्राचीन समूहों और 50,000 साल पहले शुरू हुए माइग्रेशन में पाई गई हैं.
ये तीन प्राचीन समूह हैं परसिया (ईरान) के किसान, यूरेशिया के घास के मैदान के चरवाहे और दक्षिण एशिया के शिकारी. यानी कि भारत की जमीन का बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों जगहों से आए लोगों से आबाद हुआ.
इस स्टडी को करने के लिए दुनिया के नामी-गिरामी संस्थानों के रिसर्च साइंटिस्ट इक्ट्ठा हुए थे. इनमें नई दिल्ली स्थित AIIMS, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन, पेरिलमान स्कूल ऑफ मेडिसीन, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया और यूसी वर्कले के रिसर्चर शामिल थे.
एक महान आश्चर्य!
इस अध्ययन के जीनोमिक विश्लेषण ने शोधकर्ताओं को आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि उन्हें इस जीन में निएंडरथल और उनके करीबी रिश्तेदार डेनिसोवन्स के जीन मौजूद होने की निशानी मिली.
इस खोज को और भी अजीब बनाने वाली बात यह है कि अब तक भारत में डेनिसोवन्स के किसी भी जीवाश्म की कोई खोज नहीं हुई है, लेकिन इस स्टडी के लिए जिन भारतीयों के जीन का सैंप्ल लिया गया था उसमें डेनिसोवन्स के जीन्स मिले हैं.
इस अध्ययन से पता चलता है कि भारतीयों में अंतर्विवाह (Endogamy-एक विशिष्ट वर्ग के व्यक्तियों को उसी वर्ग के अंदर रहने वाले लोगों से शादी करने की परंपरा) एक बड़ा जनसांख्यिकीय बदलाव लेकर आया, जहां लोगों ने अपने समुदायों के भीतर ही विवाह करना शुरू कर दिया, जिसका अर्थ है कि उन्होंने एक ही पृष्ठभूमि या समूह के लोगों से विवाह किया. इससे उनके जीन्स में बहुत सारी समानताएं पैदा हुईं, जिससे वे आनुवंशिक रूप से अधिक समान हो गए.
वैज्ञानिकों ने ईरानी मूल की आबादी से प्राचीन डीएनए की जांच की जो भारत में आनुवंशिक प्रभाव से पहले मौजूद थे. उन्होंने यह पहचानने के लिए सिमुलेशन प्रक्रिया अपनाई ताकि ये पता लगाया जा सके कि किसके जीन आधुनिक भारतीयों में देखे गए पैटर्न से सबसे अधिक मिलते जुलते हैं.
इस दौरान सबसे उपयुक्त मिलान उन किसानों के डीएनए से पाए गए जो जो साराजम के थे. ये जगह वर्तमान ताजिकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन कृषि केंद्र था.
अध्ययन में पता चला है कि इंसानों की आबादी में हमारे पूर्वजों के पूर्वज निएंडरथल के जो 90 फीसदी जीन पाए जाते हैं ये जीन उन भारतीय 2700 भारतीयों के जीनोम सीक्वेंसिंग में भी पाए गए जिनका अध्ययन लैब में किया गया. रिसर्च पेपर में कहा गया है अगर हम लंबे समय में देखें तो हम पाते हैं कि भारतीयों के पूर्वजों के जीनोम का एक से दो फीसदी हिस्सा निएंडरथल और डेनिसोवन्स के साथ मिलने से बना हुआ है.
इस अध्ययन ने आगे पुष्टि की कि भारतीयों में जो जेनेटिक भिन्नताएं आईं उनका मूल स्रोत एक ही माइग्रेशन जो अफ्रीका से 50 हजार साल पहले शुरू हुआ.
शोधकर्ताओं ने कहा है कि ये विश्लेषण भारत के जनसंख्या इतिहास का एक विस्तृत दृश्य प्रदान करते हैं और यूरोप के बाहर विविध समूहों में जीनोमिक सर्वेक्षण के विस्तार के महत्व को रेखांकित करते हैं.
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