Ganesh Chaturthi 2025: नृत्य से लेकर लेटे हुए गणपति तक, जानें भगवान गणेश की हर मुद्रा का रहस्य

Ganesh Chaturthi 2025: 27 अगस्त यानी कल गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा, जिसमें गणपति की विभिन्न मुद्राओं जैसे बाईं सूंड, दाईं सूंड, सीधी सूंड, बैठे हुए, नृत्य मुद्रा, लेटे हुए और चूहे पर खड़े गणेशजी की पूजा की जाती है. हर मुद्रा का अलग आध्यात्मिक और भौतिक महत्व है, जो घर में शांति, समृद्धि, सफलता और सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद करती है.

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गणेश चतुर्थी 2025 (File Photo: ITG) गणेश चतुर्थी 2025 (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:12 AM IST

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी भारत में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाई जाती है. घर में गणपति की मूर्ति लाकर कई दिनों तक उनकी पूजा करने का विचार ही वातावरण को सकारात्मकता से भर देता है. इस साल यह उत्सव 27 अगस्त यानी कल से शुरू हो रहा है. वहीं, गणेश जी की मूर्ति घर लाते समय आपने अक्सर गौर किया होगा कि लोग गणेशोत्सव पर अलग अलग तरह की मुद्रा वाले गणेश जी स्थापित करते हैं. तो चलिए जानते हैं कि सभी गणेश जी की मुद्राओं का क्या महत्व है.  

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- बाईं ओर सूंड वाले गणेश जी

बाईं ओर सूंड वाली भगवान गणेश की मूर्ति, जिसे वाममुखी और वक्रतुंड गणेश भी कहा जाता है, सबसे ज्यादा लोग पसंद करते हैं. ये गणेश का सबसे आम और लोकप्रिय रूप माना जाता है. इस दिशा का संबंध उत्तर दिशा से है और इसे चंद्रमा की खास ऊर्जा से जोड़ा जाता है. चंद्रमा की यह ऊर्जा शांति, सुख-शांति और भौतिक समृद्धि को दर्शाती है. इसलिए, बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणेश को लक्ष्मी का वरदान देने वाला माना जाता है.

- दाईं ओर सूंड वाले गणेश जी

दाईं ओर सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति को सिद्धिविनायक और दक्षिणाभिमुखी कहा जाता है. इस रूप की खासियत ये है कि भगवान गणेश की सूंड दाईं तरफ मुड़ी होती है. हमारे यहां ऐसा मानना है कि अगर घर में दाईं सूंड वाले गणपति जी की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाए, तो घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. मान्यता ये भी है कि इनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली मुश्किलें, ठोकरें और बाधाएं दूर हो जाती हैं.

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- सीधी सूंड वाले गणेश जी

सीधी सूंड वाले गणेशजी का रूप बहुत ही खास और दुर्लभ माना जाता है. ये रूप इसलिए महत्व रखता है क्योंकि इसकी सूंड सीधे ऊपर की तरफ होती है, जो कि सुषुम्ना नाड़ी के खुलने का प्रतीक है. सुषुम्ना नाड़ी हमारे शरीर की एक मुख्य ऊर्जा नाड़ी होती है, जो मन और आत्मा को जोड़ती है. जब ये नाड़ी खुलती है, तो व्यक्ति और भगवान के बीच एक गहरा तालमेल बनता है. ऐसा माना जाता है कि इस स्थिति में इंसान पूरी तरह से आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है और जीवन में शांति, सफलता और संतुलन आता है.

- बैठे हुए गणेशजी

बैठे हुए गणेशजी की मूर्ति को घर में रखना और उसकी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि जब घर में बैठा हुआ गणपति का चित्र स्थापित किया जाता है और उसकी सही रीति से पूजा की जाती है, तो घर में शांति, सुख और समृद्धि बनी रहती है. बैठा गणेशजी घर के वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं और परिवार की हर मनोकामना पूरी करने में मदद करते हैं.

- नृत्य मुद्रा वाले गणपति

अगर कोई कला या संगीत में रुचि रखता है, तो नृत्य मुद्रा में बैठे गणपति जी की स्थापना उनके लिए बहुत लाभकारी होती है. नृत्य करते हुए या वाद्य यंत्र बजाते हुए गणेशजी की मूर्ति की पूजा से घर में खुशियाँ आती हैं और कला की दुनिया में सफलता मिलती है. यह मूर्ति ऊर्जा और आनंद का प्रतीक होती है.

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- लेटे हुए गणपति

लेटी हुई मुद्रा में गणपति जी को भी खास माना जाता है. खासकर बिजनेस करने वाले लोग इस प्रतिमा की पूजा करते हैं क्योंकि इसे सुख-समृद्धि का कारण माना जाता है. लेटी हुई गणेशजी की मूर्ति घर की तरक्की और आर्थिक मजबूती लाने वाली होती है.

- चूहे पर खड़े गणपति

एक और खास मूर्ति है चूहे पर खड़े गणेशजी की, जिन्हें गणराज भी कहा जाता है. यह मूर्ति हिम्मत और साहस की प्रतीक होती है. ऐसा माना जाता है कि इस मूर्ति की पूजा से जीवन में जिम्मेदारी निभाने की ताकत मिलती है और मुश्किलें आसान हो जाती हैं.

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