जानिए क्या होता है संथारा, जिसे जैन धर्म में कहा जाता है 'फेस्टिवल ऑफ डेथ'

जैन धर्म की परंपराओं के अनुसार संथारा लेने वाला व्यक्ति मृत्यु आने तक भोजन या पानी का बहिष्कार कर देता है. जैन धर्म के लोग इस व्रत को फेस्टिवल ऑफ डेथ कहते हैं. आइए संथारा से जुड़ी 5 अहम बातों के बारे में जानते हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

सुमित कुमार / aajtak.in

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  • 17 मई 2019,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

82 वर्षीय महिला कंचन देवी बैद संथारा लेने की वजह से सुर्खियों में आ गई हैं. जैन धर्म की परंपराओं के अनुसार संथारा लेने वाला व्यक्ति मृत्यु आने तक खान-पान का बहिष्कार कर देता है. जैन धर्म के लोग इस व्रत को फेस्टिवल ऑफ डेथ कहते हैं. आइए संथारा से जुड़ी 5 अहम बातों के बारे में जानते हैं.

1. संथारा लेने वाले व्यक्ति का खान-पान जबरदस्ती बंद करा दिया जाता है या वह स्वेच्छा से इसका त्याग कर देता है. अक्सर मृत्यु को करीब देखने के बाद ही व्यक्ति इसे लेने का फैसला करता है.

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2. जैन ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार संथारा में नियम के मुताबिक ही व्यक्ति को भोजन दिया जाता है. अन्न बंद करने का फैसला तभी लिया जाता है, जब अन्न का पाचन संभव न रह जाए.

3. संथारा में उपवास करने के दो तरीके होते हैं. इसे लेने वाले व्यक्ति पर यह निर्भर करता है कि वह संथारा के दौरान पानी पीना चाहता है या नहीं. इसमें किसी भी तरह के खाने को पूरी तरह से बहिष्कृत किया जाता है.

4. संथारा लेने वाले व्यक्ति को पहले अपने परिवार या गुरू से इसे धारण करने की आज्ञा लेनी पड़ती है. यदि परिवार या गुरू इसकी इजाजत देता है तब इस लिया जा सकता है.

5. संथारा के व्रत के बीच में भी व्यक्ति डॉक्टरी सलाह ले सकते हैं. इससे व्रत नहीं टूटता. आमतौर पर तबीयत बहुत ज्यादा खराब होने पर लोग डॉक्टर्स की मदद भी लेते हैं।

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