Matra Navami: मातृ नवमी का श्राद्ध कल, जानें तर्पण का शुभ मुहूर्त, महत्व और विधि

Matra Navami: द्रिक पंचांग के अनुसार, मातृ नवमी 15 सितंबर, यानी कल है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन उन माताओं, बहनों और बेटियों का तर्पण होता है, जिनका निधन पति के जीवित रहते हो गया हो या जिनकी पुण्यतिथि का ज्ञान न हो.

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मातृ नवमी 2025 मातृ नवमी 2025

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST

पितृपक्ष का समय हिंदू धर्म में बेहद पावन माना जाता है. यह काल अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष महत्व रखता है. पितृपक्ष के दौरान आने वाली नवमी तिथि को मातृ नवमी कहा जाता है. यह दिन विशेष रूप से उन माताओं, बहनों और बेटियों को समर्पित होता है जिनका निधन पति के जीवित रहते हो गया हो या जिनकी पुण्यतिथि का ज्ञान न हो. 

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मातृ नवमी 2025 कब है? (Matra Navami)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मातृ नवमी 15 सितंबर, यानी कल पड़ रही है. इस दिन मातृ पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा है. यह तिथि पितृपक्ष के दौरान उनके श्राद्ध और स्मरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है.

तर्पण के लिए शुभ मुहूर्त

कुतुप मूहूर्त- सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक.

रौहिण मूहूर्त- दोपहर 12 बजकर 41 मिनट से 01 बजकर 30 मिनट तक.

अपराह्न काल- दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 58 मिनट तक.

मातृ नवमी का महत्व (Matra Navami SIgnificance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मातृ नवमी का श्राद्ध करने से दिवंगत मातृ पितरों की आत्मा को तृप्ति और शांति मिलती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया तर्पण परिवार में सुख-समृद्धि लाता है और वंश की उन्नति का मार्ग खोलता करता है. माना जाता है कि मातृ नवमी पर किए गए कर्मकांड से घर में मातृत्व, स्नेह और सौहार्द की भावना बनी रहती है.

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मातृ नवमी पर क्या करें?

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन दिवंगत मातृ पितरों के लिए विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण करें. साथ ही ब्राह्मणों और उनकी पत्नियों को भोजन कराएं और दान दें. जरूरतमंद महिलाओं को कपड़े और उपहार प्रदान करें. इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीप प्रज्वलित कर मातृ शक्ति का स्मरण करें. कौवे, गाय, कुत्ते, मछली और चींटियों को अन्न व जल अर्पित करें. मान्यता है कि इससे पितरों तक भोजन पहुंचता है.

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