Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या पर आज जरूर सुनें ये खास कथा, होगी हर मनोकामना पूर्ण

Mauni Amavasya 2024: माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है. इस तिथि को स्नान और दान का बड़ा महत्व माना गया है. मौनी अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. मौनी अमावस्या के महत्व के बारे में शिवपुराण में उल्लेख किया गया है. कहा जाता है इस दिन दान देने से ग्रह दोष खत्म हो जाते हैं, साथ ही मौन व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

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मौनी अमावस्या 2024 मौनी अमावस्या 2024

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:00 AM IST

Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या 9 फरवरी यानी आज है. हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या मनाई जाती है. मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. मान्यतानुसार, अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है. ऐसा भी माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन व्रत भी रखा जाता है जिसको सफल बनाने के लिए कथा पढ़ी जाती है. तो आइए जानते हैं उस कथा के बारे में.

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मौनी अमावस्या कथा (Mauni Amavasya katha)

काफी समय पहले की बात है. कांचीपुरी नाम के एक नगर में देवस्वामी नाम का एक ब्राह्मण रहता था. उसके 7 बेटे और एक बेटी थी. उसकी बेटी का नाम गुणवती और पत्नी का नाम धनवती था. उसने अपने सभी बेटों का विवाह कर दिया. उसके बाद बड़े बेटे को बेटी के लिए सुयोग्य वर देखने के लिए नगर से बाहर भेजा. उसने बेटी की कुंडली एक ज्योतिषी को दिखाई. उसने कहा कि कन्या का विवाह होते ही वह विधवा हो जाएगी. यह बात सुनकर देवस्वामी दुखी हो गया. तब ज्योतिषी ने उसे एक उपाय बताया. कहा कि सिंहलद्वीप में सोमा नाम की एक धोबिन है. वह घर आकर पूजा करे तो कुंडली का ये दोष दूर हो जाएगा. यह सुनकर देवस्वामी ने बेटी के साथ सबसे छोटे बेटे को सिंहलद्वीप भेज दिया. दोनों समुद्र के किनारे पहुंचकर उसे पार करने का उपाय खोजने लगे. जब कोई उपाय नहीं मिला तो वे भूखे-प्यासे एक वट वृक्ष के नीचे आराम करने लगे.

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उस पेड़ पर गिद्ध का परिवार रहता था. गिद्ध के बच्चों ने देखा कि दिनभर इन दोनों को भूखे-प्यासे देखा तो वे भी दुखी होने लगे. जब गिद्ध के बच्चों को उनकी मां ने खाना दिया, तो बच्चों ने खाना नहीं खाया और उन भाई बहन के बारे में बताने लगे. उनकी बातें सुनकर गिद्धों की मां को दया आ गई. उसने पेड़ के नीचे बैठे भाई बहन को भोजन दिया और कहा कि वह उनकी समस्या का समाधान कर देगी. यह सुनकर दोनों ने भोजन ग्रहण किया. अगले दिन सुबह गिद्धों की मां ने दोनों को सोमा के घर पहुंचा दिया. वे उसे लेकर घर आए. सोमा ने पूजा की. फिर गुणवती का विवाह हुआ, लेकिन विवाह होते ही उसके पति का निधन हो गया. तब सोमा ने अपने पुण्य गुणवती को दान किए, जिसके बाद उसका पति फिर जीवित हो गया. 

इसके बाद सोमा सिंहलद्वीप आ गई, लेकिन उसके पुण्यों के कमी से उसके बेटे, पति और दामाद का निधन हो गया. इस पर सोमा ने नदी किनारे पीपल के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की आराधना की. पूजा के दौरान उसने पीपल की 108 बार प्रदक्षिणा की. इस पूजा से उसे महापुण्य प्राप्त हुआ और उसके प्रभाव से उसके बेटे, पति और दामाद जीवित हो गए. उसका घर धन-धान्य से भर गया. मान्यता है कि तभी से मौनी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष तथा भगवान विष्णु जी की पूजा की जाने लगी. 

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मौनी अमावस्या पूजन विधि (Mauni Amavasya Pujan Vidhi)

मौनी अमावस्या के दिन सुबह और शाम स्नान के पहले संकल्प लें. पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें और फिर स्नान करना आरंभ करें. स्नान करने के बाद सूर्य को काले तिल मिलाकर अर्घ्य दें. इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और फिर मंत्रों का उच्चारण करें. मंत्र जाप के बाद वस्तुओं का दान करें. चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं. 
 

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