Tulsi Vivah 2025: इस शुभ मुहूर्त में होगा तुलसी विवाह, जाने लें पूजन विधि और सही तिथि

Tulsi Vivah 2025: तुलसी विवाह भगवान विष्णु और माता तुलसी (वृंदा) का प्रतीकात्मक विवाह है, जो देवउठनी एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है. यह दिन शुभ कार्यों की शुरुआत और घर में सुख-समृद्धि के आगमन का प्रतीक माना जाता है.

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तुलसी-शालिग्राम विवाह शुभ तिथि 2025 (Photo: AI Generated) तुलसी-शालिग्राम विवाह शुभ तिथि 2025 (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:20 AM IST

देवउठनी एकादशी के अगले दिन, यानी 2 नवंबर (रविवार) को तुलसी विवाह कराया जाएगा. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के योगनिद्रा (चातुर्मास) के बाद जागते हैं, और विष्णु का विवाह तुलसी देवी (वृंदा) के साथ कराया जाता है. तुलसी विवाह को कार्तिक मास की सबसे शुभ तिथियों में से एक माना जाता है. इस दिन तुलसी और शालिग्राम (भगवान विष्णु का स्वरूप) का विवाह विधि-विधान से कराया जाता है. ऐसा विश्वास है कि तुलसी विवाह से जीवन में वैवाहिक सुख, संतुलन, सफलता और शांति बनी रहती है. इस दिन से हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों के शुभ कार्यों की शुरुआत भी होती है. देवउठनी एकादशी तक विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं, लेकिन तुलसी विवाह के बाद इन सभी कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं.  

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कब है तुलसी विवाह

पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि 2 नवंबर 2025 को सुबह 7 बजकर 33 मिनट से प्रारंभ हो रही है. इस तिथि का समापन 3 नवंबर को सुबह 2 बजकर 7 मिनट पर होगा.  उदया तिथि के अनुसार, इस वर्ष 2 नवंबर 2025 को तुलसी विवाह मनाया जाएगा.

शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होगा. गोधूलि मुहूर्त शाम 5 बजकर 35 मिनट से शाम 06:01 मिनट तक रहेगा. तुलसी विवाह के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 50 मिनट से 5:42 मिनट तक है. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:42 से दोपहर 12:26 मिनट तक मान्य है.  तुलसी विवाह पर व्याघात योग रहेगा.  फिर सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 5 बजकर 3 मिनट से 3 नवंबर की सुबह तक रहने वाला है. 

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कैसे करें तुलसी विवाह 
सबसे पहले घर की अच्छी तरह सफाई करें. पूजा करने वाला व्यक्ति पीले रंग के वस्त्र धारण करे, क्योंकि पीला रंग सौभाग्य और पवित्रता का प्रतीक है. घर के मुख्य द्वार पर सुंदर रंगोली बनाएं.अब एक साफ लाल कपड़े से विवाह मंडप  तैयार करें. मंडप को फूलों, आम के पत्तों और केले के तनों से सजाएं ताकि वह पारंपरिक विवाह जैसा दिखे. तुलसी के पौधे को मंडप में रखें और उनके पास भगवान शालिग्राम जी की स्थापना करें. शालिग्राम जी को नए वस्त्र पहनाएं . तुलसी माता को लाल चुनरी ओढ़ाएं. इसके बाद शालिग्राम जी और तुलसी माता को फूलों की माला पहनाएं. अब दोनों का विवाह संस्कार पूरा करने के लिए सात फेरे कराएं. 

फेरे पूरे होने के बाद परिवार के सभी सदस्य मिलकर फूलों की वर्षा करें और भगवान विष्णु तथा तुलसी माता से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें. अंत में तुलसी और शालिग्राम जी की आरती करें और उन्हें मिठाई और  मौसमी फलों का भोग लगाएं.  
 

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