Surya Grahan 2025 Date: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कल, जानें भारत में सूतक काल मान्य होगा या नहीं

Surya Grahan 2025: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 21 सितंबर दिन रविवार को लगने वाला है. यह ग्रहण रात 11 बजे शुरू होगा और इसका समापन देर रात 3 बजकर 23 मिनट पर होगा. ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 23 मिनट रहने वाली है. यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा. इसलिए यहां इसका सूतक काल भी मान्य नहीं है.

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21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है. (Photo: AI Generated) 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है. (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:48 PM IST

Surya Grahan 2025: 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में सूर्य सबसे प्रमुख स्थान रखता है. इसके प्रभाव से यश, कीर्ति और वैभव पर असर पड़ता है. इसलिए बेशक सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं में भी इसका स्थान विशेष है. आगामी सूर्य ग्रहण को लेकर भी लोगों के मन में कई तरह के सवाल होंगे. जैसे यह सूर्य ग्रहण कब से कब तक रहेगा. भारत में इसका सूतक काल लगेगा या नहीं. आइए आपको ऐसे तमाम सवालों के जवाब देते हैं.

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कितने बजे दिखेगा सूर्य ग्रहण? (Surya Grahan 2025 Date Time)
भारतीय समयानुसार, 21 सितंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण रात 11 बजे शुरू होगा और इसका समापन देर रात 3 बजकर 23 मिनट पर होगा. ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 23 मिनट रहने वाली है.

क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण?
साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा. यह ग्रहण दक्षिणी गोलार्ध के कई हिस्सों में दिखेगा, जिसमें अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी प्रशांत महासागर, न्यूजीलैंड और अफ्रीका के कई हिस्से शामिल होंगे.

क्या भारत में लगेगा सूतक काल
21 सितंबर का सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. सूर्य ग्रहण जब भारत में दृश्यमान होता है तो उसका सूतक काल 12 घंटे पहले ही भारत में लागू हो जाता है. सूतक काल में खान पकाना, पूजा-पाठ और भगवान की मूर्तियों का स्पर्श सहित कई काम वर्जित हैं.

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सूर्य ग्रहण पर सर्वपितृ अमावस्या का संयोग
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण के दिन पितृपक्ष का समापन होगा और सर्वपितृ अमावस्या का संयोग बनेगा. हालांकि इस सूर्य ग्रहण का श्राद्धकर्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसके दो कारण है. एक तो सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा और न ही इसका सूतक काल मान्य होगा. दूसरा, श्राद्धकर्म आदि दोपहर के वक्त ही निपटा लिए जाएंगे. जबकि सूर्य ग्रहण रात के समय लगेगा.

कब लगता है सूर्य ग्रहण?
खगोलविदों के अनुसार, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य की रोशनी आंशिक रूप या पूर्ण रूप से छिप जाती है. इस दौरान चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ने लगती है. जहां ये छाया पड़ती है, वहां या तो सूर्य दिखाई नहीं देता है. या फिर आंशिक या वलयाकार ग्रहण के रूप में दिखाई देती है. इसी खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं.

सूर्य ग्रहण की सावधानियां
सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ विशेष सावधानियों बरतने की सलाह दी जाती है. इस दौरान मंत्र जाप और ध्यान करने से ग्रहण के दोष कम होते हैं. ग्रहण के दौरान कुंडली के अशुभ योगों को भी समाप्त किया जा सकता है. विशेषकर ऐसे योग जो राहु, केतु या सूर्य से संबंध रखते हों. सूर्य ग्रहण के बाद किसी पवित्र नदी में स्नान और दान करना भी उत्तम माना गया है. ग्रहण के बाद अन्न, वस्त्र और धन का दान करने की भी परंपरा है.

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