Sheetala Ashtami 2024: आज है शीतला अष्टमी, आखिर क्यों इस दिन लगाया जाता है बासी खाने का भोग

Sheetala Ashtami 2024: मां शीतला के स्वरूप को शीतलता प्रदान करने वाला माना गया है. ऐसी मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति सच्चे मन से और पूरे विधि-विधान से शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला का व्रत करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसके सभी रोगों का निवारण हो जाता है.

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शीतला अष्टमी 2024 शीतला अष्टमी 2024

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

Sheetla Ashtami 2024: शीतला अष्टमी या शीतलाष्ठमी का त्योहार शीतला माता को समर्पित है. इस बार शीतला अष्टमी का त्योहार 2 अप्रैल यानी आज मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार, शीतला माता को मां दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है. शीतला अष्टमी को बासोरा पूजा या बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है.

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यह त्योहार होली के आठ दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग बासी खाना खाते हैं. मान्यता है कि इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता. शीतला अष्टमी को उत्तर भारत के राज्यों राजस्थान, यूपी और गुजरात में प्रमुखता से मनाया जाता है. 

शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त (Sheetala Ashtami 2024 Shubh Muhurat)

शीतला अष्टमी मंगलवार, 2 अप्रैल 
शीतला अष्टमी पूजन मुहूर्त- आज सुबह 6 बजकर 10 मिनट से शाम 6 बजकर 40 मिनट तक
अष्टमी तिथि की शुरुआत- 1 अप्रैल कल रात 9 बजकर 09 मिनट से शुरू हो चुकी है
अष्टमी तिथि का समापन- 2 अप्रैल आज रात 8 बजकर 08 मिनट पर होगा

शीतला अष्टमी पूजन विधि (Sheetala Ashtami Pujan Vidhi)

इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें. इसके बाद साफ व नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें. पूजा करने की दो थालियां सजाएं. इसमें से एक थाल में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, नमक पारे, मातृ और सप्तमी के दिन बने बासी मीठे चावल रख दें. वहीं दूसरी थाली में आते के दीपक बनाकर रख लें. इसके साथ-साथ दूसरी थाल में रोली, वस्त्र, अक्षत, सिक्के, मेहंदी और एक लोटा ठंडा पानी रख लें. घर में माता शीतला की पूजा करें और उन्हें थाली में रखा भोग अर्पित करें. ध्यान रहे कि इस समय आपको दीपक नहीं जलाना है. घर में पूजा करने के बाद नीम के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें. 

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दोपहर में मंदिर जाकर एक बार फिर से शीतला माता की पूजा करें. माता को जल अर्पित करें व रोली और हल्दी का टीका लगाएं. माता को मेहंदी और नए वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद माता को बासी भोजन का भोग लगाकर उनकी आरती करें. पूजा सामग्री बचने पर किसी गाय या ब्राह्मण को दान कर दें.

आखिर क्यों माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है

शीतला अष्टमी के दिन बासी प्रसाद का भोग लगाने के पीछे कहा जाता है कि माता शीतला को ठंड़ा भोजन अति प्रिय है. धार्मिक मान्यता के अनुसार माता शीतला के नाम का मतलब है ठंडा. यही वजह है कि लोग शीतला देवी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाते हैं.

शीतला अष्टमी कथा (Sheetala Ashtami Katha)

एक गावं में बूढ़ी माता रहती थी. एक दिन पूरे गांव में आग लग गई. इस आग में पूरा गांव जलकर खाक हो गया लेकिन बूढ़ी माता का घर बच गया. यह देखकर सभी दंग रह गए कि पूरे गांव में केवल एक बूढ़ी माता का घर कैसे बच गया. सभी बूढ़ी माता के पास आकर पूछने लगे तो उन्होंने बताया कि वह चैत्र कृष्ण अष्टमी को व्रत रखती थीं. शीतला माता की पूजा करती थीं. बासी ठंडी रोटी खाती थीं. इस दिन चूल्हा भी नहीं जलाती थी. यही वजह है कि शीतला माता की कृपा से उनका घर बच गया और बाकी गांव के सभी घर जलकर खाक हो गए. माता के इस चमत्कार को देख पूरा गांव माता शीतला की पूजा करने लगा और तब से शीतला अष्टमी का व्रत रखने की परंपरा शुरू हो गई.

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