Shani Dev : ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को विशेष स्थान प्राप्त है.उन्हें न्याय का देवता और कर्मफल दाता कहा जाता है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति जैसा कर्म करता है, शनिदेव वैसा ही फल देते हैं. शनि ग्रह को सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है, इसलिए इसका प्रभाव दीर्घकालिक और गहरा होता है. शनि का प्रभाव जीवन में अनुशासन, धैर्य, संघर्ष और कर्म की परीक्षा से जुड़ा होता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर समय कुल तीन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और दो राशियों पर शनि की ढैय्या रहती है. साढ़ेसाती और ढैय्या को शनि का विशेष प्रभाव माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव, चुनौतियां और सीख लेकर आता है.
शनि की साढ़ेसाती कब लगती है
शनि की साढ़ेसाती तब प्रारंभ होती है जब शनि किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 12वें भाव में प्रवेश करता है. यह प्रभाव कुल साढ़े सात वर्षों तक रहता है और इसके तीन चरण होते हैं. पहला चरण जन्म राशि से 12वें भाव में, दूसरा चरण जन्म राशि में और तीसरा चरण जन्म राशि से दूसरे भाव में शनि के गोचर के दौरान. साढ़ेसाती के समय व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
शनि की ढैय्या कब लगती है
शनि की ढैय्या तब लगती है जब शनि जन्म राशि से चौथे या आठवें भाव में गोचर करता है. इसका प्रभाव ढाई वर्षों तक रहता है. ढैय्या के दौरान जीवन में अचानक परिवर्तन, कार्यक्षेत्र में बाधाएं या पारिवारिक तनाव देखने को मिल सकता है.
2026 में किन राशियों पर रहेगी शनि की साढ़ेसाती
वर्ष 2026 में शनि देव मीन राशि में ही विराजमान रहेंगे, वे इस वर्ष कोई राशि परिवर्तन नहीं करेंगे. इस कारण 2026 में कुंभ, मीन और मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी. कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा होगा, जिससे लंबे संघर्ष के बाद राहत के संकेत मिल सकते हैं. मीन राशि पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण रहेगा, जो सबसे प्रभावशाली माना जाता है. वहीं मेष राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा, जो जीवन में नई जिम्मेदारियां और बदलाव लेकर आ सकता है.
2026 में शनि की ढैय्या
2026 में सिंह और धनु राशि वालों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव रहेगा. इस दौरान इन राशियों के जातकों को धैर्य, अनुशासन और सही कर्म पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी. शनिदेव की कृपा से यह समय आत्मविकास और स्थिरता भी देता है.
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