Pitru Paksha 2025: क्या है पंचबली श्राद्ध का महत्व, जिसके बिना अधूरा रह जाता है पितरों का तर्पण

Pitru Paksha 2025: पंचबली श्राद्ध एक व्यापक अनुष्ठान है, जिसमें न केवल पितरों को बल्कि देवताओं, ऋषियों, जीव-जंतुओं और अतिथियों को भी श्रद्धांजलि दी जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पूर्वज कौवे, कुत्ते, गाय आदि रूप में आते हैं और उन्हें भोजन अर्पित किया जाता है.

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पितृ पक्ष में पंचबली श्राद्ध (Photo: ITG) पितृ पक्ष में पंचबली श्राद्ध (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:23 AM IST

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है और पितरों के ये दिन सर्वपितृ अमावस्या तिथि तक चलेंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह समय विशेष रूप से पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.

इस अवधि में परिवार और वंशज विशेष रूप से अपने पूर्वजों के लिए विभिन्न कर्मकांड करते हैं. इनमें श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान सबसे प्रमुख हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि इन कर्मों के माध्यम से पितरों को तृप्त किया जाता है, जिससे उनके आशीर्वाद से घर और परिवार में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है.

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पितृपक्ष का महत्व

माना जाता है कि पितृ अपने सूक्ष्म देह के साथ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए अर्पण को स्वीकार करते हैं. शास्त्रों में वर्णन है कि इस समय पूर्वजों को तर्पण और अन्नदान करने से उनका आशीर्वाद मिलता है, जबकि श्राद्ध न करने वालों को पितृदोष का सामना करना पड़ सकता है. 

किस रूप में आते हैं पूर्वज?

मान्यता है कि पितृ कौवे, कुत्ते, गाय या अन्य जीव-जंतुओं के रूप में प्रकट होकर श्राद्ध का अन्न-जल ग्रहण करते हैं. यही कारण है कि पितृपक्ष में कौवों और अन्य प्राणियों को भोजन कराने की परंपरा है.

महाबली और पंचबली का महत्व

धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में इन्हें श्राद्ध का आधार माना गया है. कहा गया है कि इनके बिना श्राद्ध अधूरा रहता है. महाबली को श्राद्ध का मुख्य अर्पण माना गया है. इसमें पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण और विशेष श्राद्ध भोज अर्पित किया जाता है. यह अर्पण न केवल पितरों की आत्मा को तृप्त करता है, बल्कि वंशजों को उनके आशीर्वाद से समृद्धि और सुख की प्राप्ति भी कराता है.

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वहीं, पंचबली श्राद्ध कर्म की व्यापकता को दर्शाता है. इसमें केवल पितरों के लिए ही नहीं, बल्कि देवताओं, ऋषियों, जीव-जंतुओं और अतिथियों तक को अर्पण किया जाता है. पंचबली के अंतर्गत पांच अर्पण किए जाते हैं- देव बलि, ऋषि बलि, भूत बलि, मनुष्य बलि और पितृ बलि. 

पंचबली श्राद्ध कैसे करते हैं

समय और स्थान तय करें- पंचबली श्राद्ध आमतौर पर पितृपक्ष की प्रत्येक तिथि पर किया जा सकता है, लेकिन सबसे मुख्य दिन अमावस्या माना जाता है. इसे साफ और पवित्र स्थान पर किया जाता है. अगर घर में पवित्र स्थल नहीं है, तो आंगन या नदी किनारे किया जा सकता है.

पितृ पक्ष पंचबली श्राद्ध की सामग्री 

पंचबली श्राद्ध  के लिए पिंड (चावल के गोले या गोबर-पिंड), तिल, गुड़, दूध और जल, कुशा और पवित्र थाली, अन्न और जल , दीप और फूल महत्पूर्ण सामग्री है. 

पितृ पक्ष में पंचबली श्राद्ध का समापन 

पंचबली श्राद्ध के अंत में दीपक जलाकर और फूल अर्पित करके अनुष्ठान समाप्त किया जाता है.शास्त्रों के अनुसार, इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वंशजों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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