Nag Panchami 2022: नाग पंचमी पर होती है इन 5 नागों की पूजा, इनके बिना अधूरा समुद्र मंथन और शिव का श्रृंगार

देश के कई मंदिरों में स्थापित सांपों की मूर्तियों को फल, फूल, दिया और दूध अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है. इन्हें ना सिर्फ भगवान शिव के गले का आभूषण माना जाता है, बल्कि स्वयं भगवान विष्णु शेषनाग पर योग निद्रा में रहते हैं.

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Nag Panchami 2022: नागपंचमी पर होती है इन 5 नागों की पूजा, इनके बिना अधूरा समुद्र मंथन और शिव का श्रृंगार (Photo: Getty Images) Nag Panchami 2022: नागपंचमी पर होती है इन 5 नागों की पूजा, इनके बिना अधूरा समुद्र मंथन और शिव का श्रृंगार (Photo: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 2:12 PM IST

सनातन धर्म में सांपों की पूजा का चलन बरसों पुराना है. हर साल सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागों की पूजा की जाती है. देश के कई मंदिरों में स्थापित सांपों की मूर्तियों को फल, फूल, दिया और दूध अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है. इन्हें ना सिर्फ भगवान शिव के गले का आभूषण माना जाता है, बल्कि स्वयं भगवान विष्णु शेषनाग पर योग निद्रा में रहते हैं. आइए आज आपको पांच ऐसे खास नाग देवों के बारे में बताते हैं जिन्हें हिंदू धर्म में विशेष स्थान दिया गया है.

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आस्तीक- अस्तिका जरत्कारु और सर्प देवी मानसा के पुत्र थे. महाभारत के अनुसार, अस्तिका ने सर्प सत्र के दौरान सांपों के राज तक्षक की जान बचाई थी. तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डस लिया था और उनकी मृत्यु हो गई थी. ये बात जब उसके बेटे जनमेजय को पता चली तो वो बहुत क्रोधित हो गया और उसने नागदाह यज्ञ करने की प्रतिज्ञा ली. तब आस्तीक ने ही राजा जनमेजय को नागदाह यज्ञ रोकने के लिए राजी किया था. कहते हैं कि तभी से नाग पंचमी का त्योहार मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है.

आदिशेष- आदिशेष को नागों का राजा शेषनाग भी कहा जाता है. आदिशेष वो हैं जिन्होंने अपने सिर पर ग्रहों और ब्रह्मांड को उठा रखा है. ऐसा कहते हैं कि जब आदिशेष जम्हाई लेते हैं तो उनके जबड़ों बीच ज्यादा अंतर आने की वजह से भूकंप आता है. महाभारत के अनुसार, आदिशेष का जन्म ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू के यहां हुआ था. कद्रू ने हजारों सर्पों का जन्म दिया था जिनमें आदिशेष सबसे बड़ा था.

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वासुकी- भगवान शिव के गले में हमें जो नाग दिखाई देता है, असल में वो वासुकी है. ऐसी मान्यताएं हैं कि भगवान शिव ने वासुकी को आशीर्वाद दिया था और उन्हें आभूषण के रूप में अपने सीने से लगाए रखा. इसे नागों का राजा कहा जाता है और कहते हैं. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इसके सिर पर नागमणि होती है. इसका जिक्र महाभारत और रामायण में भी किया गया है. वासुकी समुद्र मंथन का भी हिस्सा रहा था.

कालिया- कालिया एक बेहद विषैला नाग था जो वृंदावन की यमुना नदी में रहता था. उसके जहर से नदी का पानी मीलों तक जहरीला रहता था, जिसके कारण कोई इंसान या पक्षी वहां नहीं जा सकता था. कालिया वैसे तो रमनाका द्वीप पर रहता था, लेकिन सांपों के दुश्मन गरुड़ा के डर से वह वृंदावन आकर बस गया. दरअसल गरुड़ा को श्राप था कि वो कभी वृंदावन में कदम नहीं रख सकता है. एक बार जब भगवान कृष्ण यमुना नदी के किनारे खेल रहे थे तो अचानक उनके हाथ से गेंद नदी में चला गया. गेंद वापस लाने के लिए जब कृष्ण पानी में कूदे तो कालिया अपने फनों से जहर उगलने लगा. दोनों के बीच युद्ध के बाद भगवान कृष्ण कालिया को वश में कर लिया और उसके सिर पर चढ़कर नृत्य किया.

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मनसा देवी- हिंदू धर्म में मनसा देवी को सांपो की देवी कहा जाता है. सर्पदंश से रोकथाम और सुख-समृद्धि के लिए इनकी पूजा की जाती है. वह वासुकी की बहन और ऋषि जरत्कारु की पत्नी हैं. उन्हें कमल पर बैठी देवी के रूप में चित्रित किया गया है, जो सांपों से ढकी हुई खड़ी हैं. कभी-कभी उन्हें गोद में एक बच्चे के साथ भी देखा जाता है. कई चित्रों में उनकी गोद में एक बच्चा भी नजर आता है.

 

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