Hindu Wedding Rituals: हिंदू विवाह में दुल्हन क्यों पहनती हैं लाल जोड़ा? जानें इसके पीछे का आध्यात्मिक कारण

Hindu Wedding Rituals: भारत में विवाह सिर्फ एक सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि भावनाओं, परंपराओं और अध्यात्म का संगम माना जाता है. दुल्हन के लाल जोड़े की परंपरा भी केवल सौंदर्य से जुड़ी नहीं, बल्कि इसमें समृद्धि, अग्नि, त्याग और नए जीवन की शुरुआत का गहरा संदेश छिपा है. यही कारण है कि सदियों बाद भी लाल रंग दुल्हन का सबसे शुभ और पवित्र प्रतीक माना जाता है.

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हिंदू धर्म में दुल्हन क्यों पहनती है लाल जोड़ा (Photo: Pixabay) हिंदू धर्म में दुल्हन क्यों पहनती है लाल जोड़ा (Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:19 AM IST

Hindu Wedding Rituals: हिंदू धर्म में विवाह 16 संस्कारों में से एक माना जाता है जिसकी हर परंपरा बहुत ही विशेष होती है. कुल मिलाकर, शादी की हर रस्म और हर रिवाज में कोई न कोई गहरी भावना और परंपरा छिपी होती है. इन परंपराओं का संबंध सिर्फ धार्मिक माध्यम से नहीं बल्कि ये रिश्तों को मजबूती देने के लिए भी विशेष होती हैं. हिंदू विवाह में बहुत ही सारी परंपराएं होती हैं जिनमें से एक है दुल्हन का लाल जोड़े पहनना. चलिए जानते हैं इस खास परंपरा के बारे में, जो सदियों से चली आ रही है. 

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विवाह में दुल्हन का लाल जोड़ा पहनने का महत्व

शादी में जब दुल्हन मंडप में नीचे आती है, तो परंपरा है कि वह लाल रंग की साड़ी या लाल जोड़ा पहनती है. धार्मिक परंपरानुसार, लाल रंग सिर्फ सुंदरता के लिए नहीं है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार लाल रंग माता लक्ष्मी का प्रतीक है. शादी के दिन लड़की को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है, इसलिए उसे लाल वस्त्र पहनाए जाते हैं ताकि घर में सुख, समृद्धि और शुभता आए. इसी वजह से दुल्हन को घर की लक्ष्मी भा कहा जाता है. 

लाल रंग अग्नि का भी प्रतीक माना जाता है. विवाह की पूरी प्रक्रिया अग्नि को साक्षी मानकर की जाती है. इसलिए, अग्नि के समान लाल-केसरिया रंग दुल्हन को पहनाया जाता है. इसके अलावा, लाल रंग साहस, ऊर्जा और नए जीवन की शुरुआत का भी सूचक होता है. इनके अलावा, विवाह जीवन का नया अध्याय भी होता है, इसलिए लाल को शुभ माना गया है.

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लाल रंग का त्याग का सूचक

दुल्हन का लाल रंग पहनने का एक कारण यह भी है कि लाल रंग त्याग और समर्पण का संकेत माना जाता है. क्योंकि विवाह के दौरान लड़की मायके को छोड़कर ससुराल में नया जीवन शुरू करती है. यही समर्पण और त्याग लाल रंग द्वारा दर्शाया जाता है. शादी केवल एक समारोह नहीं है, बल्कि एक संपूर्ण वैदिक अनुष्ठान है. इसलिए, हर रिवाज, मेहंदी, हल्दी, तेल चढ़ाना, गांव की मिट्टी लाना (मांगर मिट्टी), मंडप गाड़ना, सबके पीछे ही वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कारण होते हैं.

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