Ganesh Chaturthi 2025: शुरू हो चुका है बाप्पा को स्थापित करने का मुहूर्त, नोट करें पूजन विधि

Ganesh Chaturthi 2025: भगवान गणेश की स्थापना का मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 1 मिनट पर शुरू हो चुका है. वहीं, गणेश जी पूजन विधि में प्रतिमा स्थापना, कलश स्थापना, फलाहार और यथा शक्ति पूजा शामिल है. पंचांग के मुताबिक, गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को समाप्त होगा.

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गणेश चतुर्थी 2025 (Photo Credit: ITG) गणेश चतुर्थी 2025 (Photo Credit: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:51 AM IST

Ganesh Chaturthi 2025: आज से गणेश महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है. गणेश जन्मोत्सव का पर्व मुख्य रूप से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन गणेश जी का प्राकट्य हुआ था. गणेश चतुर्थी की पूजा की अवधि अनंत चतुर्दशी तक चलती है. सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का खास महत्व होता है. इस त्योहार को भगवान गणेश के भक्त बड़ी ही धूम-धाम से मनाते हैं और बाप्पा को भी अपने घर पर लाकर स्थापित करते हैं.

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भगवान गणेश की स्थापना का मुहूर्त

पंचांग के मुताबिक, गणपति बाप्पा का स्थापना मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 01 मिनट से शुरू हो चुका है और यह मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक रहने वाला है. अगर किसी भक्त से इस मुहूर्त में भगवान गणेश का पूजन या स्थापना छूट जाए तो इसके अलावा भी अन्य मुहूर्त है. 

दूसरा मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 05 मिनट तक रहेगा, इसमें भी आप बाप्पा की स्थापना अपने घर में कर सकते हैं. 

कैसे करें घर में गणेश जी का पूजन (Ganesh Chaturthi 2025 Pujan Vidhi)

सबसे पहले गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना दोपहर के समय करें और कलश भी स्थापित करें. फिर, लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करें. इस दिनभर जलीय आहार ग्रहण करें अथवा केवल फलाहार करें. 

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फिर, शाम को गणेश जी की यथा शक्ति पूजा करें और घी का दीपक जलाएं. इसके बाद जितनी उम्र है उतने लड्डुओं का भोग लगाएं, दूब भी अर्पित करें. फिर, अपने इच्छानुसार गणेश जी के मंत्रों का जाप करें. 

क्यों निषेध है गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन?

मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करना भी निषेध माना जाता है. जिसके पीछे एक पौराणिक मान्यता छुपी है, कहते है कि एक बार चंद्रदेवता ने भगवान गणेश का सुंदरता को लेकर उपहास किया था. जिसके कारण क्रोध में आकर भगवान गणेश ने चंद्रदेव को श्राप दिया था कि उनकी सुंदरता समाप्त हो जाएगी. इसी वजह से गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन को निषेध माना गया है.

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