मंदोदरी को मजबूरी में करनी पड़ी थी रावण से शादी, पार्वती ने क्यों दिया था मंदोदरी को श्राप?

ज्यादातर लोगों ने भगवान राम, सीता, राम के वनवास, राम-रावण के युद्ध, हनुमान द्वारा लंका दहन समेत रामायण के पात्रों और घटनाओं से जुड़ी ना जाने कितनी कहानियां सुनी होंगी लेकिन शायद ही कोई रामायण के अहम पात्र मंदोदरी के बारे में ज्यादा जानता होगा. वास्तव में रामायण में मंदोदरी का परिचय केवल रावण की पत्नी के रूप में नहीं बल्कि एक कर्तव्यपरायण और धर्म के रास्ते पर चलने वाली स्त्री के तौर पर किया गया है.

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क्यों मंदोदरी का जीवन बन गया रहस्य क्यों मंदोदरी का जीवन बन गया रहस्य

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:19 PM IST

हम सभी ने रामायण में रावण की पत्नी के रूप में मंदोदरी के बारे में सुना होगा. लेकिन मंदोदरी का परिचय केवल रावण की पत्नी तक सीमित नहीं है. रामायण में मंदोदरी का वर्णन बेहद सुंदर, पवित्र और धार्मिक महिला के रूप में किया गया है जिसने एक तरफ सीता के अपहरण के लिए रावण की बार-बार आलोचना की तो वहीं, दूसरी तरफ एक कर्तव्यपरायण पत्नी की तरह लगातार अपने पति को धर्म के मार्ग की ओर अग्रसर करने का प्रयास करती रही.

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मंदोदरी की कहानी से दुनिया रही अछूती
हम सभी ने बचपन से भगवान राम, उनकी पत्नी सीता, उनके संघर्ष, भगवान राम और रावण का युद्ध, हनुमान द्वारा लंका दहन, अयोध्या नगरी और रामायण के पात्रों और घटनाओं से जुड़ी ढेरों कहानियां सुनी हैं लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि रावण के जीवन में मंदोदरी ने कितने दुख झेले और उसके मरने के बाद मंदोदरी का क्या हुआ.

मंदोदरी का असली नाम था मधुरा 
किंवदंतियों में बताई गई एक कथा के अनुसार, मधुरा (एक दिव्य परी) ने एक बार कैलाश पर्वत की यात्रा की थी. वहां वो देवी पार्वती की अनुपस्थिति में भगवान शिव को खुश करने की कोशिश करती हैं. जब देवी पार्वती आती हैं और मधुरा को देखकर वो क्रोधित हो जाती हैं. वो मधुरा को मेंढक में बदलकर 12 वर्षों के लिए एक कुएं के अंदर रहने का श्राप दे देती हैं. इसके बाद भगवान शिव देवी पार्वती से श्राप को कम करने का अनुरोध करते हैं लेकिन माता पार्वती वो श्राप वापस नहीं ले पाती हैं लेकिन वो कहती हैं कि मधुरा 12 साल बाद अपने असली रूप में आ जाएगी.

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मायासुर और उनकी पत्नी हेमा की तपस्या
असुरों के राजा मायासुर और उनकी पत्नी हेमा के दो पुत्र थे जिनका नाम मायावी और दुंदुम्भी था लेकिन वो एक बेटी चाहते थे. इसलिए, उन्होंने अपने बेटी पाने के लिए कठोर तपस्या करने का फैसला किया. जब वो दोनों कैलाश पर्वत पर तपस्या कर रहे थे, तब इस बीच मधुरा की 12 साल की कठोर तपस्या भी समाप्त होने वाली थी. जैसे ही मधुरा की तपस्या पूरी हुई, वो अपने मूल स्वरूप में आ गई और मदद के लिए चिल्लाने लगी. मायासुर और हेमा जो पास में ही तपस्या कर रहे थे, उन्होंने मधुरा की मदद की पुकार सुनी और तुरंत उसे कुएं से बाहर निकाल लिया. बाद में उन्होंने मधुरा को अपनी बेटी बना लिया और उसका नाम बदलकर मंदोदरी रख दिया.

रावण ने की मंदोदरी से ज़बरदस्ती शादी
एक बार रावण मायासुर के महल में गया तो वहां उसने मंदोदरी को देखा और उस पर मोहित हो गया. उसने मायासुर से मंदोदरी का हाथ मांगा. लेकिन मायासुर ने मना कर दिया जिससे रावण नाराज हो गया और मंदोदरी को उससे शादी करने के लिए मजबूर करने लगा. मंदोदरी को पता था कि रावण भगवान शिव का भक्त है, इस डर से और अपने पिता की रक्षा के लिए वो शादी के लिए सहमत हो जाती है. रावण से शादी के बाद उसने दो पुत्रों मेघनाद और अक्षयकुमार को जन्म दिया. 

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कर्तव्यपरायण और निष्ठावान पत्नी
मंदोदरी रावण को उसके गलत कामों के लिए हमेशा टोकती थी. ये जानकर कि रावण अपने विनाश के मार्ग पर जा रहा था, मंदोदरी उसे लगातार धर्म के मार्ग लाने का प्रयास करती रही.

रावण के वध के बाद मंदोदरी का क्या हुआ?
भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद विभीषण को लंका का राजा बना दिया था. ऐसा कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद विभीषण ने अपनी भाभी मंदोदरी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. मंदोदरी के बारे में कहा जाता है कि वो एक सती स्त्री थीं जो अपने पति के प्रति समर्पण का भाव रखती थीं. इसीलिए रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने विभीषण से विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया. लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने विभीषण से विवाह स्वीकार कर लिया था.


 

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