Chandra Grahan Sharad Purnima 2023: शुरू हो गया सूतक काल, फिर होगा चंद्र ग्रहण, कैसे खाएं शरद पूर्णिमा की अमृत खीर?

Chandra Grahan Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगने के कारण खीर बनाने या खाने की परंपरा कैसे पूरी होगी, इसे लेकर लोग दुविधा में हैं. चंद्र ग्रहण आज रात 11 बजकर 31 मिनट पर आरंभ होगा और इसका समापन देर रात 3 बजकर 56 मिनट पर होगा. ऐसे में शरद पूर्णिमा की खीर बनाने-खाने का समय क्या रहने वाला है?

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Chandra Grahan Sharad Purnima 2023: दोपहर को सूतक काल, रात को चंद्र ग्रहण, कैसें खाएं शरद पूर्णिमा की अमृत खीर Chandra Grahan Sharad Purnima 2023: दोपहर को सूतक काल, रात को चंद्र ग्रहण, कैसें खाएं शरद पूर्णिमा की अमृत खीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST

Chandra Grahan 2023: शरद पूर्णिमा पर आज रात चंद्र ग्रहण लगने वाला है. शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे खीर रखने की परंपरा है, क्योंकि खीर में चंद्रमा की अमृत गुणों से युक्त किरणें पड़ती हैं. इससे यह खीर अमृत के समान हो जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है. लेकिन शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगने के कारण खीर बनाने या खाने की परंपरा कैसे पूरी होगी, इसे लेकर लोग दुविधा में हैं. आइए जानते हैं कि आज चंद्र ग्रहण कितने बजे लगेगा और शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने-खाने की परंपरा कैसे पूरी होगी.

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चंद्र ग्रहण आज रात 11 बजकर 31 मिनट पर आरंभ होगा और इसका समापन देर रात 3 बजकर 56 मिनट पर होगा. चंद्र ग्रहण का 01 बजकर 05 मिनट पर स्पर्श, रात 01 बजकर 44 मिनट पर मध्य काल और इसका मोक्ष रात्रि 02 बजकर 24 मिनट पर होगा. इस 1 घंटे 19 मिनट की इस अवधि में चंद्र ग्रहण का प्रभाव सबसे ज्यादा होगा.

वहीं, चंद्र ग्रहण का सूतक काल शाम 4 बजकर 5 मिनट से लग जाएगा. ऐसे में रात के समय न तो लक्ष्मी पूजा होगी और न चंद्रमा को अर्घ्य दे पाएंगे. इसलिए ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा और चंद्रमा पूजन या तो सूतक काल से पूर्व संभव है या फिर चंद्र ग्रहण समापन के बाद. चंद्र ग्रहण के बाद पूजा-पाठ करना ज्यादा उचित रहेगा, क्योंकि उस वक्त चंदा मामा के दर्शन हो सकेंगे और ग्रहण भी समाप्त हो जाएगा.

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चंद्र ग्रहण में कैसे खाएं शरद पूर्णिमा की खीर?
ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पांडेय के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर खीर चंद्र ग्रहण शुरू होने से पहले बनाकर रख लें. अगर आप ये खीर सूतक से पहले बना लेंगे तो और भी उत्तम होगा. खीर बनाने के बाद उसमें तुलसी दल डालकर रख दें. फिर ग्रहण समाप्त होने के बाद खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख दें. ग्रहण के दौरान खीर को आसमान के नीचे न रखें. फिर ग्रहण खत्म होने के बाद सुबह स्नान करें और खीर का सेवन करें. ध्यान रहे कि ग्रहण काल रात 3 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगा. इसके बाद ही खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखें.

शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद ऋतु की पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है. इसी तिथि से शरद ऋतु आरंभ हो जाती है. चंद्रमा इस दिन संपूर्ण सोलह कलाओं से युक्त होता है. इस दिन चन्द्रमा से अमृत वर्षा होती है, जो धनधान्य, प्रेम और स्वास्थ्य तीनों का वरदान देती हैं. कहते हैं कि प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्रीकृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था. इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन स्वास्थ्य, अपार प्रेम और खूब सारा धन पाया जा सकता है. लेकिन प्रयोगों के लिए कुछ सावधानियों और नियमों का पालन जरूर करना चाहिए.

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शरद पूर्णिमा पर बरतें ये सावधानियां
शरद पूर्णिमा के दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखने का प्रयास करें. इस दिन केवल सात्विक आहार का ही सेवन करें. शरीर के शुद्ध और खाली रहने से आप ज्यादा बेहतर तरीके से अमृत की प्राप्ति कर पाएंगे. इस दिन काले रंग का प्रयोग बिल्कुल न करें. चमकदार सफेद रंग के वस्त्र धारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा.

अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपाय
शरद पूर्णिमा के दिन स्नान करके गाय के दूध में घी मिलाकर खीर बनाएं. खीर भगवान को अर्पित करके श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा करें. मध्य रात्रि में जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से उदित हो जाए, तब चंद्र देव की उपासना करें. चंद्रमा के मंत्र "ॐ सोम सोमाय नमः" का जाप करें. खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखें. इसे कांच, मिटटी या चांदी के पात्र में ही रखें. अन्य धातुओं का प्रयोग न करें. सुबह जितनी जल्दी इस खीर का सेवन करें, उतना उत्तम होगा.

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