Dussehra 2025: रावण के पैरों तले दबा ये नीला व्यक्ति कौन है? जानें कैसे दशानन ने ग्रहों को बनाया गुलाम

Dussehra 2025: रामायण में आपने गौर किया हो तो रावण के सिंहासन के नीचे अक्सर एक नीले रंग का व्यक्ति दिखाई देता है. यह रहस्य कई लोगों को हैरान कर देता है. आखिर कौन था यह व्यक्ति और क्यों रावण उसे अपने पैरों तले दबाए रखता था? इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी है.

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जब बेटे की कुंडली को सुधारने के लिए ग्रहों को सारे ग्रहों को कंट्रोल करने लगा था रावण (Photo: Screengrab@ramayan/AI Generated) जब बेटे की कुंडली को सुधारने के लिए ग्रहों को सारे ग्रहों को कंट्रोल करने लगा था रावण (Photo: Screengrab@ramayan/AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

Dussehra 2025: हर साल आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को विजयदशमी यानी दशहरा मनाया जाता है. इस साल दशहरे का त्योहार 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह पर्व बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देश में जगह-जगह रावण का पुतला दहन किया जाता है. रावण को अपनी मायावी शक्तियों पर बहुत अहंकार था. कहते हैं कि रावण अपनी शक्तियों को दुरुपयोग कर किसी को भी अपने वश में कर सकता था. एक बार तो रावण ने न्याय देव शनि को भी अपने वश में कर बंदी बना लिया था.

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आपने अगर गौर से रामायण देखी हो तो आपको पता चलेगा कि रावण के सिंहासन के पास उसके पैर के नीचे हमेशा एक नीले रंग का आदमी लेटा दिखाई देता था. वो कोई और नहीं बल्कि न्याय देव शनि ही थे. रावण ने अपने शक्तियों के बल पर शनि को कैद कर लिया था और अपने सिंहासन के पास पैरों के नीचे रखता था.

रावण ने क्यों किया शनि को कैद?
पौराणिक कथा के अनुसार, तंत्र-मंत्र की सिद्धियों ने रावण को अति महाविद्वान और बड़ा ज्योतिषी बना दिया था. ऐसा कहते हैं कि रावण ने अपने बेटे की आयु और सुख-संपन्नता में वृद्धि के लिए उसकी कुंडली में ग्रहों के दशा-दिशा को अपने हिसाब से बदल दिया था. ऐसे में कुंडली का प्रत्येक ग्रह रावण के हिसाब से चाल चलने लगा था. लेकिन शनि देव रावण के काबू में आसानी से नहीं आ रहे थे और बार-बार अपना स्थान बदल रहे थे. तब रावण ने शनि को को कैद कर लिया और अपने सिंहासन के पास पैर के नीचे दबाकर रखने लगा.

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हनुमान ने कराया शनि को मुक्त
कहते हैं कि जब हनुमान भगवान राम का संदेश लेकर माता सीता के लिए लंका पहुंचे तो उन्होंने लंका दहन के समय शनि को रावण के कैद से मुक्त कराया था. दरअसल, लंका दहन से ठीक पहले रावण ने शनि को बंधक बनाकर जेल में डाल दिया था और उसके बाहर एक शिवलिंग बना दिया, ताकि शनि उसे लांघकर न जा सकें. तब हनुमान ने अपनी शक्तियों के प्रयोग से शनि देव को रावण की चुंगल से मुक्त कराया था.

दशहरा तिथि और रावण दहन का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, दशहरे का त्योहार आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह तिथि 1 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 01 मिनट पर होगी और इसका समापन 2 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 10 मिनट पर होगा. ऐसे में दशहरा 2 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा. दशहरे पर रावण दहन प्रदोष काल में करने की परंपरा है. प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के बाद शुरू होता है. इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 6 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगा और इसी के बाद से रावण दहन किया जाएगा.

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