Balram Jayanti 2025: बलराम जयंती आज, संतान की सुख-संपन्नता के लिए हलषष्ठी पर ऐसे करें पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हर वर्ष बलराम जयंती मनाई जाती है. पंचांग के अनुसार, षष्ठी तिथि 14 अगस्त को सुबह 4.23 बजे से लेकर अगले दिन यानी 15 अगस्त को सुबह 2.07 बजे तक रहेगी. उदिया तिथि के चलते हलषष्ठी का पर्व 14 अगस्त को मनाया जाएगा. 

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Balram Jayanti 2025 Balram Jayanti 2025

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

Balram Jayanti 2025: हर वर्ष भाद्रपद माह में बलराम जयंती मनाई जाती है. इस व्रत को श्री कृष्ण जन्माष्टमी से पहले रखा जाता है. भगवान बलराम श्रीकृष्ण के बड़े भाई और ब्रज के राजा के रूप में पूजनीय हैं. द्वापर युग में अवतरित भगवान बलराम को स्नेहपूर्वक दाऊ भैया भी कहा जाता है. उनकी पूजा से अपूर्व शक्ति और पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है. इस दिन संतान की प्राप्ति और कल्याण के लिए माताएं व्रत रखती हैं. इस व्रत और पूजा से महिलाओं को मनचाही संतान की प्राप्ति होती है.

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तिथि और शुभ मुहूर्त (Balram Jayanti 2025 Date and Shubh muhurt)
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हर वर्ष बलराम जयंती मनाई जाती है. पंचांग के अनुसार, षष्ठी तिथि 14 अगस्त को सुबह 4.23 बजे से लेकर अगले दिन यानी 15 अगस्त को सुबह 2.07 बजे तक रहेगी. उदिया तिथि के चलते हलषष्ठी का पर्व 14 अगस्त को मनाया जाएगा. उत्तर भारत में इस दिन को हल षष्ठी और ललही छठ के नाम से जाना जाता है. जबकि ब्रज क्षेत्र में इसे बलदेव छठ कहा जाता है. इस अवसर पर हल और बैलों की पूजा की जाती है, क्योंकि बलराम जी को कृषि और शक्ति का देवता माना जाता है. उनके मंदिरों में अभिषेक, छप्पन भोग और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है.

कैसे करें भगवान बलराम की पूजा? (Balram Jayanti 2025 Pujan vidhi)
प्रातःकाल भगवान बलराम के चित्र की स्थापना करें. उन्हें पीली वस्तुएं अर्पित करें. हल और मूसल की पूजा भी करें. घर में शंख ध्वनि करें. भगवान् का नाम लेकर घर में जल का छिड़काव करें. फिर फल और मिठाई का वितरण करें. इससे घर में समृद्धि आएगी. घर के लोगों में आपसी तालमेल बढ़ेगा.

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संतान के कल्याण के लिए कैसे करें इस दिन पूजा? (Balram Jayanti 2025 Upay)

महिलाओं को प्रातः काल स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद मिट्टी का एक छोटा सा तालाब बनाएं. इस तालाब में बीच में एक लगा हरछठ लगा दें. हरछठ को कुश घास, महुआ और पलाश वृक्ष की एक-एक शाखा बांधकर बनाया जाता है. इसकी विधि पूर्वक पूजा करें. पूजा के बाद संतान के लिए प्रार्थना करें. पूजा के बाद चावल और साग सब्जी खाकर व्रत का परायण करें. व्रत में गाय का दूध दही और हल जुते हुए खेत का अन्न ग्रहण न करें.

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