उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को राजस्थान की राजधानी जयपुर में आयोजित 'स्नेह मिलन समारोह' में राजनीतिक कटुता और सामाजिक संवाद की गिरती मर्यादाओं पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में राजनीति का माहौल और तापमान, दोनों ही हमारे लोकतंत्र और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं हैं.
'दुश्मन सीमापार हो सकते हैं, देश में नहीं'
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने स्पष्ट शब्दों में कहा, 'यह स्थिति हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति से मेल नहीं खाती है. राजनीति में विचारधारा भिन्न हो सकती है, दल बदल सकते हैं, सत्ता और विपक्ष की भूमिकाएं बदलती रहती हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि हम एक-दूसरे के दुश्मन हो जाएं.'
उन्होंने कहा, 'दुश्मन हमारे सीमापार हो सकते हैं, लेकिन देश के भीतर हमारा कोई दुश्मन नहीं हो सकता.' उपराष्ट्रपति ने कहा, 'राजनीति का तापमान असहनीय होता जा रहा है. हम बेलगाम होकर वक्तव्य जारी कर देते हैं.'
'किसी भी हाल में नहीं बदली जा सकती संविधान की प्रस्तावना'
इससे पहले शनिवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना को किसी भी सूरत में बदला नहीं जा सकता. ये वो बीज है जिस पर यह दस्तावेज विकसित होता है. उन्होंने कहा, 'भारत वह इकलौता देश है जिसके संविधान की प्रस्तावना में बदलाव किया गया. 1976 (इमरजेंसी के दौरान) में 42वें संविधान (संशोधन) अधिनियम के तहत इसमें परिवर्तन किया गया और 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष', 'अखंडता' जैसे शब्द जोड़ दिए गए.'
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