राजस्थान (Rajasthan) की सत्ता में चाहे बीजेपी काबिज हो या फिर कांग्रेस, बिजली का मुद्दा करंट देता रहा है. इससे भी बड़ा झटका बिजली के बिल देते है, चाहे वो आम हो या फिर खास लेकिन नियम-कायदे एक होने के बावजूद दोनों में अंतर बड़ा है. ऐसा इसलिए क्योंकि राजस्थान में बीजेपी, कांग्रेस और अन्य दलों के कई विधायक और मंत्री ऐसे है, जिन्होंने सालों से बिजली बिल ही नहीं भरा है.
हालांकि, हालिया राज में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल के निजी आवास का बिजली कनेक्शन काटने के बाद यह मुद्दा फिर से गरमा गया.
विभाग को ठेंगा दिखा रहे नेता
बिजली बिल जमा नहीं कराने की वजह से बेनीवाल के नागौर घर से कनेक्शन क्या काटा उन्होंने ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर पर भी बिजली बिल नहीं भरने का आरोप लगा दिया. इसके बाद सियासत गरमाई तो कई विधायकों ने बकाया राशि जमा करा दी लेकिन अभी भी कई विधायक हैं, जो बिजली विभाग को ठेंगा दिखा रहे हैं.
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दरअसल, राजस्थान में 33 विधायक और मंत्री हैं, जो अपने सरकारी आवास का बिल समय पर जमा नहीं करा रहे. यही नहीं बिजली विभाग इसकी वसूली के लिए न तो नोटिस दिया और न ही कनेक्शन काटा, जबकि आम उपभोक्ताओं के बिजली बिल बकाया होने पर विद्युत कनेक्शन तत्काल काटे जा रहे है. ऐसे में अब डिस्कॉम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे है. वहीं, जिस नेताओं के बिजली बिल बकाया है, उसमें सत्ता दल बीजेपी के 16 विधायक, कांग्रेस के 9, भारत आदिवासी पार्टी के 4, बसपा और निर्दलीय के 1-1 विधायक है.
इसमें बीजेपी के उदय लाल भड़ाना, कैलाश मीणा, ललिता मीणा, लालाराम बैरवा, हंसराज मीणा जैसे इन सभी विधायकों के 13 महीने के हजारों में बिल बकाया है और बाकी विधायकों को जोड़े तो इनकी राशि लाखों में है. ठीक इसी तरह कांग्रेस के भगवान राम सैनी, सोहनलाल, मुकेश भाकर, अभिमन्यु पूनिया के भी 13 महीनों में लाखों के बिल बकाया पड़े हैं. इसमें तीसरा मोर्चा भारत आदिवासी पार्टी के थावरचंद, अनिल कटारा सहित बाकी विधायक भी भला कैसे पीछे रहते, उन्होंने भी अपना बिल एक बार भी नहीं भरा और यही काम बीएसपी के जसवंत गुर्जर और निर्दलीय जीवाराम चौधरी ने किया है, जिन्होंने कुछ महीने बिल भरने के बाद बाकी महीने बिल भरने की जरूरत भी नहीं समझी.
शरत कुमार