राजस्थान हाईकोर्ट ने विधानसभा उपचुनाव के दौरान हुए थप्पड़ कांड में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह के अपराधियों को जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए, ताकि समाज में यह संदेश जाए कि ऐसे राजनीतिक लोगों का सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं है.
समरावता गांव में हुई हिंसा और एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में हाईकोर्ट ने नरेश मीणा की जमानत खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि आरोप पत्र पेश होने के बाद आरोपी स्वतः जमानत का अधिकारी नहीं बनता. ऐसे मामलों में अपराधियों को जमानत के लाभ से वंचित रखना जरूरी है.
नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज
यदि इस मामले में जमानत मिल भी जाती, तो भी नरेश मीणा जेल से रिहा नहीं हो सकते थे, क्योंकि वह एसडीएम को थप्पड़ मारने के एक अन्य मामले में भी गिरफ्तार हैं. इसके अलावा, हाईवे रोकने और ईवीएम से छेड़छाड़ करने के दो अन्य मामलों में भी उनके खिलाफ केस दर्ज हैं.
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील डॉ. महेश शर्मा ने कोर्ट में दलील दी कि स्थानीय ग्रामीण तहसील मुख्यालय बदलने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और मतदान का बहिष्कार किया था. इस बीच, एसडीएम जबरन वोट डलवाने का प्रयास कर रहे थे, जिससे नरेश मीणा और एसडीएम के बीच धक्का-मुक्की हो गई. हालांकि, वकील ने दावा किया कि हिंसा और आगजनी में उनका कोई हाथ नहीं था.
कई मामलों में फंसे हैं नरेश मीणा
दो दिन पहले बहस पूरी होने के बाद, जस्टिस प्रवीर भटनागर की अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था और अब नरेश मीणा की जमानत खारिज कर दी गई है. इस फैसले से उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं, क्योंकि अन्य मामलों में भी जमानत पर असर पड़ सकता है.
शरत कुमार