राजस्थान में लागू होगा वन स्टेट वन इलेक्शन, एक साथ होंगे पंचायत और शहरी चुनाव

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को छह महीने के भीतर पंचायत और शहरी निकाय चुनाव करवाने का सख्त आदेश दिया है. इसके बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने परिसीमन के लिए गठित समितियों की रिपोर्ट मंजूर कर चुनाव तैयारियों की शुरुआत कर दी है.

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राजस्थान में चुनावों की प्रणाली में होने वाला है बड़ा बदलाव (File Photo: PTI) राजस्थान में चुनावों की प्रणाली में होने वाला है बड़ा बदलाव (File Photo: PTI)

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 22 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 10:05 PM IST

राजस्थान में पंचायत और शहरी निकाय चुनावों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार को छह महीने के भीतर चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं. इस आदेश के बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शहरों में परिसीमन के लिए शहरी विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा की अध्यक्षता में बनी कमेटी और ग्रामीण इलाकों में परिसीमन के लिए पंचायत राज मंत्री मदन दिलावर की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है.

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इससे पहले राजस्थान निर्वाचन आयोग के आयुक्त मधुकर गुप्ता ने नए मतदाता सूचियों के प्रकाशन के लिए कवायद का आदेश जारी किया. दरअसल, राजस्थान सरकार ने पहले घोषणा की थी कि “वन एस्टेट वन इलेक्शन” लागू किया जाएगा. इसके बावजूद कई पंचायतों और नगरीय निकायों में छह महीने बाद भी चुनाव नहीं हुए थे.

सरपंच और प्रधान का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों को पंचायतों में लगाया गया है, जबकि नगर निगम और नगर पालिकाओं में भी चुनाव न होने की वजह से हालत इसी तरह बनी हुई है. इस पर कई नागरिकों और समूहों ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि यह संविधान का उल्लंघन है कि कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनाव नहीं हो रहे हैं.

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हाईकोर्ट ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए कि छह महीने के भीतर सभी पंचायत चुनाव संपन्न कराए जाएं. हालांकि, कई पंचायतों का कार्यकाल 2027 तक है और सरकार ने वन एस्टेट वन इलेक्शन की घोषणा पूरी नहीं की थी. इस बीच, राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ याचिका भी दायर की है. सरकार का कहना है कि उनके पास यह अधिकार है कि वे वन एस्टेट वन इलेक्शन को राज्य में लागू कर सकते हैं.

राजस्थान में अब चुनाव प्रक्रिया और परिसीमन की तैयारियों पर निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि हाईकोर्ट का आदेश और जनता का दबाव सरकार के लिए निर्णायक साबित होगा.

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