राजस्थान के टोंक में गुर्जर समाज में कोड़ामार होली खेली जाती है. इस दौरान समाज के पुरुष बमोर गेट से हीरा चौक पर जाते हैं. फिर महिलाओं से रंग खेलते है और महिलाएं पुरुषों पर जमकर कोड़े बरसाती हैं. साथ ही महिलाएं अंत में पारंपरिक लोकगीत गाती हैं. बताया जाता है कि यह परंपरा रियासत काल से चली आ रही है.
दरअसल, पुरानी टोंक क्षेत्र के हीरा चौक पर गुर्जर समाज के लोगों ने परंपरागत कोड़ामार होली खेली. नवाबी काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार, बमोर गेट के रहने वाले पुरुषों की टोली होली के परंपरागत गीत गाते हुए हीरा चौक पहुंची और वहां जमकर होली खेली. इससे पहले स्थानीय लोगों ने उनका परंपरागत रूप से स्वागत किया.
महिलाओं ने कोड़े बरसाकर की पुरुषों की पिटाई
परंपरा के अनुसार, यहां चौक में रखे रंग भरे पतीला रखा था. जैसे ही पुरुष बाल्टियों में रंग भरकर हीरा चौक पर महिलाओं को सरोबार करने की कोशिश करने लगे, तो महिलाओं ने कोड़े बरसाने शुरू कर दिए. लगभग एक घंटे तक चली इस कोड़ामार होली को देखने के लिए गुर्जर समाज सहित अन्य समाजों के लोग भी वहां बड़ी संख्या में मौजूद रहे.
गुर्जर समाज के लोगों का कहना है कि द्वापर युग में भी जब भगवान श्रीकृष्ण और उसके सखा गोपियों के साथ होली खेलने बरसाना जाते, तो वहां गोपियां और गुर्जर महिलाएं उन पर इसी तरह कोड़े बरसाया करती थीं. वहीं, गुर्जर समाज के मोहन लाल गुर्जर ने बताया कि ये गुर्जर समाज की वर्षों पुरानी परंपरा है. हमारे युवक धुलंडी के दिन हीरा चौक पर आते हैं.
महिलाएं पहले से ही रखती हैं कोड़े तैयार
यहां चौक में रंग से भरा बर्तन रखा जाता है. यहां की महिलाएं पहले से ही कोड़े तैयार रखती हैं. जैसे ही युवक रंग भरकर महिलाओं पर फेंकने की कोशिश करते है, तो महिलाएं कोड़े मारकर उनकी खबर लेती हैं.
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