राजधानी दिल्ली के नजदीक यूपी के गाजियाबाद में स्थित अट्टौर नांगला गांव में बीते कई साल से कुछ अद्भुत चल रहा है. पिछले 50 साल से यहां कुछ ऐसा हो रहा है, जो हैरान कर देने वाला है. यहां जुड़वां बच्चों की भरमार है. हम एक गली से निकलकर दूसरी गली गए. एक घर से आकर दूसरे घर पर गए. हर घर जैसे जुड़वां ही जुड़वां. इनमें से कुछ हैं, जो हमशक्ल हैं.
कुछ जुड़वां बच्चों की शक्ल उतनी नहीं मिलती, पर शरारतें मिलती जुलती हैं. ये गांव छोटा सा है. आबादी भी कुछ सौ की ही बताई जाती है, पर उनमें भी लगभग 50 से 60 जुड़वां हैं. ये आश्चर्यजनक आंकड़ा है, क्योंकि कुछ सालों में अचानक ये तेजी आई है.
इलाहाबाद के मुहम्मदपुर उमरी गांव में भी कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आती है. इस गांव में छोटे गुड्डू. बड़े गुड्डू. इमरान-फरहान. जोया-असरा. असरा-इमरा. कुछ भाई बहनों जैसे तो कुछ बहनें भाई जैसी. और सिर्फ जुड़वां ही नहीं, मोहम्मदपुर उमरी में तिड़वां भी हैं. गांव के लोगों ने बताया कि ये तो बस झांकी है, गांव के अंदर जुड़वां बच्चों की अभी पूरी पिक्चर बाकी है.
पड़ताल की तो पता चला कि लगभग 85 साल से इस गांव में जुड़वां बच्चों के होने का सिलसिला चला आ रहा है. ये जुड़वां न सिर्फ जोड़ी से पैदा होते हैं, बल्कि ज्यादातर उनमें हमशक्ल भी होते हैं. मतलब सेम टू सेम, यानि फैमिली से लेकर गांव तक में फुल कन्फ्यूजन.
जालंधर का स्कूल... जहां जुड़वां के साथ तिड़वां बच्चे भी हैं
जालंधर का सबसे बड़ा स्कूल. पुलिस डीएवी स्कूल. जहां 6000 बच्चे पढ़ते हैं, खेलते हैं, नाचते हैं, गाते हैं, जश्न मनाते हैं. खेलकूद में शहर में नंबर 1, पढ़ाई में शहर में नंबर 1... लेकिन कुछ ऐसा भी है, जो डीएवी पब्लिक स्कूल को हिंदुस्तान में किसी और वजह से भी नंबर 1 बनाता है. पुलिस डीएवी स्कूल में 46 जुड़वां बच्चों के साथ 2 तिड़वां बच्चे भी हैं. नर्सरी क्लास से लेकर बारहवीं तक, इस स्कूल में हर उम्र के, हर कद-काठी के जुड़वां बच्चे हैं. 20 से ज्यादा बच्चे तो बिल्कुल हमशक्ल हैं.
(आज रात 8 बजे श्वेता सिंह के साथ देखिए पूरी रिपोर्ट अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय में सिर्फ आजतक पर)
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