जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ला... MP में दो डिप्टी सीएम के पीछे बीजेपी का कौन सा दांव छुपा है?

मध्य प्रदेश में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी को आखिर दो-दो डिप्टी सीएम बनाने का दांव क्यों चलना पड़ा? जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी सीएम बनाने के पीछे क्या रणनीति है?

Advertisement
राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा (फाइल फोटो) राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा (फाइल फोटो)

बिकेश तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:03 PM IST

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार की तस्वीर साफ हो गई है. मोहन यादव मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे. एमपी में भी बीजेपी छत्तीसगढ़ वाले फॉर्मूले पर ही आगे बढ़ती नजर आ रही है. सूबे की सरकार में दो डिप्टी सीएम भी होंगे. जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को विधायक दल की बैठक में डिप्टी सीएम चुना गया. अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि मध्य प्रदेश में बीजेपी को डिप्टी सीएम क्यों बनाना पड़ा और वह भी एक नहीं, दो-दो? ये पार्टी की रणनीति है या कोई सियासी मजबूरी?

Advertisement

ऐसा इसलिए भी है क्योंकि नई सरकार में डिप्टी सीएम बनने जा रहे राजेंद्र शुक्ला 15 महीने की कमलनाथ सरकार की विदाई के बाद जब बीजेपी सरकार बनी, तब मंत्रिमंडल में भी नहीं थे. राजेंद्र शुक्ला को चुनाव से कुछ ही महीने पहले शिवराज कैबिनेट में जगह मिल सकी थी. अब ऐसा क्या है कि चुनाव से ठीक पहले मंत्री बनाए गए राजेंद्र शुक्ला और दिग्गज दलित चेहरे जगदीश देवड़ा को बीजेपी ने डिप्टी सीएम बना दिया?

सामाजिक समीकरण

बीजेपी के दो डिप्टी सीएम बनाने के फॉर्मूले के पीछे दो वजहें बताई जा रही हैं. एक ये कि पार्टी अब सत्ता का एक पावर सेंटर रहने देने से परहेज करने की नीति पर चल रही है. और दूसरा ये कि सीएम तो एक ही होगा ऐसे में डिप्टी सीएम के फॉर्मूले से एक से अधिक जातियों को साधने का अवसर मिल जा रहा. मध्य प्रदेश की अगली सरकार को लेकर जो तस्वीर सामने आई है, उसे देखें तो सबसे अधिक आबादी वाले ओबीसी के खाते में सीएम की कुर्सी आई है. राजेंद्र शुक्ला के चेहरे से सामान्य और पार्टी का कोर वोटर माने जाने वाले ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की गई है तो वहीं जगदीश देवड़ा के सहारे नजर दलित वोट पर है.

Advertisement
मोहन यादव होंगे मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश चुनाव के बाद बीजेपी की नजर अब कुछ ही महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव पर है. लोकसभा चुनाव में अब अधिक समय नहीं बचा है, ऐसे में बीजेपी वह मोमेंटम नहीं खोना चाहती जो उसे विधानसभा चुनाव की जीत से मिला है. कहा ये भी जा रहा है कि वन प्लस टू (एक सीएम और दो डिप्टी सीएम) फॉर्मूले से बीजेपी ने अपनी रणनीति साफ कर दी है, सरकार में सर्व समाज की भागीदारी. पार्टी की रणनीति ओबीसी को साधे रखने के साथ ही ब्राह्मण जैसे कोर वोटर को संतुष्ट रखने, दलित वोटर्स को भी अपने साथ जोड़े रखने की है.

2024 के लिए कैसे अहम है दो डिप्टी सीएम का दांव

अब सवाल ये भी है कि मध्य प्रदेश में दो डिप्टी सीएम का दांव कैसे अहम है? इसे समझने के लिए सूबे के जातिगत-सामाजिक समीकरणों, लोकसभा सीटों की चर्चा भी जरूरी है. मध्य प्रदेश में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं. बीजेपी इस बार लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सभी 29 की 29 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है. बीजेपी नेतृत्व भी इस बात को समझ रहा है कि क्लीन स्वीप का लक्ष्य सर्वसमाज को साधे बिना किसी एक वोट बैंक के सहारे हासिल कर पाना संभव नहीं है.

Advertisement
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटोः पीटीआई)

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश की नई सरकार की तस्वीर में वोट बैंक की अभेद्य छतरी बनाने की रणनीति नजर आ रही है. पीएम मोदी के चेहरे ओबीसी वोटर्स का बड़ा तबका बीजेपी के साथ है ही, करीब 23 फीसदी आबादी वाले ब्राह्मण और दलित वोट बैंक भी इनके साथ मिल गए तो आंकड़ों में इनकी तादाद और बढ़ जाती है. अब ये दांव कितना कारगर साबित होगा, नहीं होगा ये बहस का विषय हो सकता है लेकिन बीजेपी की रणनीति साफ है. उसकी नजर एक बड़े वोट बैंक पर है.

जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला ही क्यों?

अब सवाल ये भी है कि डिप्टी सीएम के लिए जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला का नाम ही क्यों, कोई और नाम क्यों नहीं? दरअसल, ये दोनों ही नेता अपने-अपने समाज में मजबूत पैठ रखते ही हैं, अन्य जातियों में भी इनकी पकड़ अच्छी है. राजेंद्र शुक्ल विंध्य क्षेत्र के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं.

ये भी पढ़ें- एमपी की 'मोहन सरकार' में बने दोनों डिप्टी सीएम का ऐसा है सियासी सफर

राजेंद्र शुक्ला 1998 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और हार गए थे. शुक्ला ने पहले चुनाव में हार के बाद रीवा सीट को बीजेपी के लिए ऐसे मजबूत किले में तब्दील कर दिया कि 2018 के चुनाव में जब कांग्रेस सत्ता में आई, तब भी वह अपनी सीट बचाए रखने में कामयाब रहे. वह 2003, 2008, 2013, 2018 और अब 2023 लगातार पांच बार के विधायक हैं. वहीं, जगदीश देवड़ा मल्हारगढ़ (सुरक्षित) सीट से लगातार आठ बार के विधायक हैं. दोनों ही नेता मतदाताओं के साथ ही संगठन पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें- मध्य प्रदेश में साफ हुई सरकार की तस्वीर, मोहन CM तो जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला बने डिप्टी

एमपी में ब्राह्मण-दलित वोट बैंक की ताकत कितनी

मध्य प्रदेश में अनुमानों के मुताबिक करीब 51 फीसदी ओबीसी आबादी है. वहीं, अनुमानों के मुताबिक सूबे में ब्राह्मण आबादी करीब पांच से छह फीसदी और दलित आबादी करीब 17 फीसदी है. एससी के लिए मध्य प्रदेश की 35 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं. वहीं, ब्राह्मण वोट भी करीब 60 विधानसभा सीटों पर जीत-हार तय करने में निर्णायक रोल निभाता है. लोकसभा चुनाव से लिहाज से देखें तो करीब आधा दर्जन सीटों पर दलित, दर्जनभर सीटों पर ब्राह्मण वोटर निर्णायक हो जाते हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement