मध्यप्रदेश सरकार, राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार के बीच आज श्रमशक्ति भवन स्थित जल शक्ति मंत्रालय के कार्यालय में संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित होने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश और राजस्थान की नदियों को लेकर एक योजना बनी थी. जिसका आशय दोनों राज्यों के लोगों को इन नदियों का लाभ पहुंचाना था. लेकिन 2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगभग दो दशकों से लंबित पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना अब मूर्त रूप ले सकेगी.
औद्योगीकरण को मिलेगा बढ़ावा
इस परियोजना से मध्यप्रदेश के चंबल और मालवा अंचल के 13 जिलों को लाभ पहुंचेगा. प्रदेश के ड्राई बेल्ट वाले जिलों जैसे मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड और श्योपुर में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी और औद्योगिक बेल्ट वाले जिलों जैसे इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास और राजगढ़ के औद्योगीकरण को और बढ़ावा मिलेगा.
75 हजार करोड़ रुपए है लागत
इससे प्रदेश के मालवा और चंबल अंचल में लगभग तीन लाख हेक्टेयर का सिंचाई रकबा बढ़ेगा. परिणामस्वरूप इन अंचलों के धार्मिक और पर्यटन केंद्र भी विकसित होंगे. यह परियोजना निश्चित रूप से पश्चिमी मध्यप्रदेश के लिए एक वरदान है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि यह परियोजना 5 वर्ष से कम समय में फलीभूत होगी, जिसकी वर्तमान लागत लगभग 75,000 करोड़ रुपए है. प्रदेश के लगभग 1.5 करोड़ आबादी इस परियोजना से लाभान्वित होगी.
26 जिलों को होगा फायदा
इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज का दिन मध्यप्रदेश और राजस्थान के पानी की कमी वाले 26 जिलों के लिए स्वर्णिम सूर्योदय का दिन है. परियोजना से लगभग 5.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के साथ ही बांधों और बड़े तालाबों में पानी का संचय कर जल-स्तर उठाने में सफलता मिलेगी. पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से एकीकृत कर इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा देते हुए अत्यंत कम समय में मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों के बीच सहमति बनी, जिसके लिए दोनों सरकारें बधाई की पात्र हैं.
2004 में तैयार की गई थी रिपोर्ट
त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन में इस लिंक परियोजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों में कुल 5.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रदान करने के साथ-साथ पूर्वी राजस्थान के 13 जिले और मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र के 13 जिलों में पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिये पानी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है. समझौता ज्ञापन में लिंक परियोजना के काम का दायरा, पानी का बंटवारा, पानी का आदान-प्रदान, लागत और लाभ का बंटवारा, कार्यान्वयन तंत्र और चंबल बेसिन में पानी के प्रबंधन और नियंत्रण की व्यवस्था शामिल की गई हैं. आपको बता दें कि पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की फीजिबिलिटी रिपोर्ट फरवरी 2004 में तैयार की गई थी तथा साल 2019 में राजस्थान सरकार द्वारा आरसीपी का प्रस्ताव लाया गया था. वर्तमान समझौता ज्ञापन में दोनों परियोजनाओं को एकीकृत कर दिया गया है.
रवीश पाल सिंह