'मैं जिंदा हूं साहब, मेरी पेंशन शुरू करवा दीजिए,' यही प्रार्थना लेकर कुछ लोग शनिवार को मध्य प्रदेश के आगर मालवा की नगर पालिका में पहुंचे जहां उन्हें मृत बताकर उनकी पेंशन बंद कर दी गई.
बता दें कि नगर पालिका ने आगर मालवा के एक दो नहीं बल्कि 6 लोगों को मृत बताकर उनकी पेंशन बंद कर दी है. अब ये 6 लोग खुद को जिंदा बताने के लिए नगर पालिका में दर दर की ठोकर खा रहे हैं.
डावर जी नाम के बुजुर्ग को नगर पालिका के माध्यम से पहले छह सौ रुपये प्रतिमाह पेंशन मिला करती थी लेकिन अब कागजों में उन्हें मृत मानकर उनकी पेंशन बंद कर दी गई है.
डावर जी अब ज्यादा-चलने फिरने में भी असमर्थ है और ऐसे में उनके लिए ये पेंशन ही जीवन जीने का सहारा है. पेंशन बंद हो जाने की वजह से उनके पास दवाई के भी पैसे नहीं है ओर वे ये नहीं समझ पा रहे हैं कि बिना मौत के उन्हें कैसा मृत मान लिया गया.
वहीं दुर्गा बाई भी उन 6 लोगों में शामिल है जिन्हें दस्तावेज में मृत मानकर पेंशन बंद की दी गई. दुर्गा बाई भी समझ नहीं पा रही है कि आखिर उनकी पेंशन बंद क्यों हुई है.
दुर्गा बाई का बेटा जब ये पता करने नगर निगम पहुंचा कि उसकी मां की पेंशन क्यों बंद की गई है तो उसे एक पर्चा पकड़ा दिया गया कि दुर्गा बाई की मौत हो चुकी है. कागज देखकर दुर्गा बाई और उसका बेटा दोनों हैरान हो गए. अब पूरे परिवार के साथ दुर्गा बाई न्याय की गुहार लगा रही है.
डावर जी, दुर्गा बाई, आबिदा, जिनेन्द्र, रुखमा बाई, कमला बाई समेत कुल 6 ऐसे लोग हैं जिनके जिंदा होते हुए भी नगर पालिका ने उन्हें मरा हुआ मानकर उनकी पेंशन को बंद कर दिया है. जिंदा लोगों को मृत बताना प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है.
नगर पालिका द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत भौतिक सत्यापन किया गया था जिसमें 2372 लोगों के भौतिक सत्यापन में 200 लोगों के पलायन और 6 लोगों की मौत हो जाने की जानकारी दी थी.
बाद में जब ऐसे लोगों को यह जानकारी मिली तो वो खुद को जिंदा बताने के लिए नगर पालिका ओर दफ़्तरों के चक्कर लगा रहे है. सामाजिक कल्याण का काम देख रहे ADM से जब इस मामले मे बात की गई तो उन्होंने मामले को संज्ञान में लेकर जांच करने और नाम जुड़वाने की बात कही.
उन्होंने कहा, 'देखिये अभी आपके माध्यम से मुझे जानकारी मिली है की मृत बताकर कुछ लोगों की पेंशन बंद कर दी गई है. जांच कर फिर से पेंशन शुरू करवाएंगे.'
प्रमोद कारपेंटर