मध्य प्रदेश में स्थित सात बाघ अभयारण्यों में हर साल 25 लाख से अधिक पर्यटक आते हैं. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह जानकारी दी. कहा कि मध्य प्रदेश एक 'बाघ राज्य' (देश में सबसे अधिक बाघों का घर) होने के अलावा, एशिया के वन्यजीव मानचित्र में भी एक अलग स्थान रखता है, क्योंकि अब यहां चीते भी हैं. उन्होंने तर्क दिया कि सही मायने में जंगल का राजा शेर नहीं बल्कि बाघ है, क्योंकि वह शेर से अधिक शक्तिशाली, साहसी और फुर्तीला होता है.
CM यादव ने कहा, आमतौर पर लोग शेर को जंगल का राजा मानते हैं, लेकिन वे अन्याय करते हैं. शेर जंगल का राजा नहीं है, बल्कि बाघ है. अगर आप शेर के स्वभाव को देखें, तो वह परिवार का ख्याल तो रखता है, लेकिन कमाने (शिकार को मारने) में आलसी होता है. वह खुद कमाने में सक्षम नहीं होता. शेर अपने परिवार के किसी सदस्य द्वारा शिकार को मारने के बाद ही खाता है.
मुख्यमंत्री ने तर्क दिया, जब परिवार का कोई और सदस्य शिकार करता है, तो शेर सबसे पहले खाने आता है. मैं इस संस्कृति के खिलाफ हूं. हमारे पास 'पराक्रम' और 'पुरुषार्थ' होना चाहिए, जो बाघ शिकार करके और खुद ही शिकार करके दिखाता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आम धारणा यह है कि शेर झुंड में हिरण के बच्चे या बूढ़े को पकड़ता है, जबकि बाघ अपनी मांसपेशियों के कारण उनमें से सबसे स्वस्थ हिरण का शिकार करता है. बाघ देखते हैं कि झुंड में सबसे स्वस्थ कौन है? इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.
उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के सात बाघ अभयारण्यों में हर साल 25 लाख से अधिक पर्यटक आते हैं. श्योपुर में चीते और बाघ खुलेआम घूमते हैं, जहां कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) है और चूंकि यह सीमावर्ती जिला है, इसलिए ये जानवर पड़ोसी राजस्थान में भी जाते हैं.
सीएम ने कहा, जहां भी चीते रहते हैं (ज्यादातर अफ्रीका में), वे अपना क्षेत्र विकसित कर लेते हैं. केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री भूपेंद्र यादव जी ने मुझे बताया कि दक्षिण अफ्रीका में वन्यजीव अधिकारी बाड़ लगाकर चीतों को रखते हैं. मैंने उनसे पूछा कि हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते? उन्होंने कहा कि इसमें बहुत पैसा लगेगा. लेकिन अच्छी बात यह है कि चीतों को जंगल में खेलने के लिए भी जगह मिल रही है.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट 'बाघों की स्थिति: भारत में सह-शिकारी और शिकार-2022' के अनुसार, मध्य प्रदेश में देश में सबसे अधिक बाघ (785) हैं, उसके बाद कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560) हैं. मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या 2018 में 526 से बढ़कर 2022 में 785 हो गई.
वहीं, चीता प्रोजेक्ट के तहत 8 नामीबियाई चीते (पांच मादा और तीन नर) को 17 सितंबर, 2022 को श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में बाड़ों में छोड़ा गया. फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते पार्क में लाए गए. वर्तमान में कूनो नेशनल पार्क में 26 चीते हैं, जिनमें 13 वयस्क शामिल हैं.
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